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    मासूमों को मिला नया घर, नए माता-पिता, दो और बच्चे भी जुड़ेंगे परिवार से

  • July 18, 2020


    बच्चा गोद देने पर भी लगा कोरोना का ग्रहण 110 दिन बाद शुरू हो सकी प्रक्रिया
    इंदौर कमलेश्वर सिंह सिसौदिया।  बच्चे हमेशा से ही घरों में किलकारी की तरह होते हैं। उनके बिना आंगन सूना ही होता है। इंदौर में शासकीय व निजी आश्रमों से 110 दिन बाद दत्तक ग्रहण प्रक्रिया शुरू हो पाई, जिसमें इस सप्ताह 4 बच्चों को गोद दिया गया। अगले 1 सप्ताह में गुजरात और दिल्ली में दो बच्चों को नए माता-पिता और नया घर मिल जाएगा।
    कोरोना संक्रमण के चलते केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही दत्तक ग्रहण योजना पर भी अंकुश लग गया था। इंदौर के विभिन्न शासकीय व निजी आश्रमों में रह रहे बच्चों को गोद देने की प्रक्रिया 22 मार्च जनता कफ्र्यू से ही बंद पड़ी थी। अब इस प्रक्रिया को इस सप्ताह फिर से सुचारु किया गया है। यानी 22 मार्च से 12 जुलाई तक दत्तक ग्रहण का काम पूरी तरह ठप रहा।
    क्या है दत्तक ग्रहण
    परिवार में जिनके बच्चे नहीं होते या किसी कारणवश बच्चे परिवार से दूर हो जाते हैं, कोई हादसा हो जाता है, ऐसे परिजन बच्चों की आवश्यकता के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग से संपर्क कर प्रक्रिया के तहत बच्चे को गोद ले सकते हैं या दत्तक ग्रहण प्रक्रिया अपना सकते हैं।
    कारा की वेबसाइट पर ऑनलाइन अप्लाई
    दत्तक ग्रहण के लिए सेंट्रल एडॉप्शन एजेंसी (कारा) पर दंपति को अपनी जानकारी अपलोड करना होती है। उसके बाद की प्रक्रिया पूरी कर बच्चों को दत्तक दिया जाता है। दत्तक देने के बाद समय-समय पर डिस्ट्रिक चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट विभाग मॉनीटरिंग भी करता है।
    इन बच्चों को मिला नया घर
    सोमवार को राजकीय बाल आश्रम छावनी से उज्जैन में 2 साल के बालक, महाराष्ट्र के नागपुर में 9 साल की बालिका, मंगलवार को सेवा भारती आश्रम से 6 माह के बालक को इंदौर, बुधवार को छावनी के राजकीय बाल आश्रम से 8 साल के बालक को कोल्हापुर में नए माता-पिता और नया घर-आंगन मिला है। 1 सप्ताह के अंदर गुजरात और दिल्ली में भी इंदौर शहर से बच्चों के दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और वह अपने नए घर जा सकेंगे।

    दोनों के लिए बेहतर
    दत्तक ग्रहण प्रक्रिया को कारा से जोड़कर कानूनी रूप से इसे अमलीजामा पहनाया गया है, जिन परिवारों में बच्चे नहीं है उन्हें अपनी जरूरत और पसंद के अनुसार बच्चे मिल जाते हैं और आश्रम या संस्थाओं में रहने वाले बच्चों के लिए घर और परिवार का साथ हो जाता है जिससे भी अपने भविष्य आसान कर सकते हैं, कुल मिलाकर परिवार और बेसहारा बच्चों दोनों के लिए ही यह बेहतर रहा है। बस वर्तमान आवश्यकता यह है की प्रक्रिया को थोड़ा सरल बनाना जरूरी है।
    कौन होते हैं यह बच्चे
    महिला एवं बाल विकास विभाग शहर में बच्चों के लिए अलग-अलग प्रकार के शेल्टर होम या आश्रम चलाता है। यहां जरूरतमंद अनाथ-बेघर बच्चे रहते हैं। इन बच्चों को सूचीबद्ध कर कारा की वेबसाइट पर अंकित किया जाता है। इसके बाद जरूरतमंद दंपति वेबसाइट के माध्यम से विभागीय प्रक्रिया पूरी कर बच्चों को गोद ले लेते हैं।
    कोरोना के कारण बच्चों को गोद देने में हो रही देरी
    कोरोना संक्रमण के चलते इंदौर में करीब साढ़े 3 महीने प्रक्रिया पूरी तरह ठप रही। पिछले 4 दिनों में 4 बच्चों को प्रक्रिया के तहत गोद दिया गया। अब प्रक्रिया चल रही है। कई बच्चों को आंगन बनाया घर मिलेगा। अगले सप्ताह में भी दो बच्चों की दत्तक ग्रहण प्रक्रिया होगी।
    अविनाश यादव, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, इंदौर

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