इंदौर। श्री अरबिंदो हॉस्पिटल इंदौर (Sri Aurobindo Hospital Indore) ने अंतरराष्ट्रीय नवजात जांच दिवस (28 जून) पर नवजातों को पांच जानलेवा बिमारियों से बचाने के लिए महाअभियान की शुरुआत की है। इसमें एक साल में 10 हजार नवजातों को गैलेक्टोसिमिया, फेनिलकेटोनुरिया, जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म (जड़-मानवता), एडरेनल (अधिवृक्क) हाइपरप्लासिया और जी-6 पीडी बिमारियों से बचाया जाएगा। इसके बाद समाज और सरकार की मदद से इस आंकड़ें को एक लाख तक ले जाया जाएगा।
श्री अरबिंदो हॉस्पिटल के फाउंडर चेयरमैन डॉ विनोद भंडारी ने बताया कि अनुवांशिक विकारों से बचाव के लिए नवजातों की जांच और उनकी देखभाल बेहद जरूरी है, क्योंकि शुरुआती दौर में ही बीमारी की पहचान और तत्काल सही उपचार से बौद्धिक और शारीरिक दोषों से बचाव होता है और जानलेवा बीमारियों को रोकने में मदद मिलती है। डॉ भंडारी ने बताया कि इसके लिए श्री अरबिंदो मेडिकल कॉलेज में नई तकनीक से युक्त दो उच्च क्षमता की मशीनें हैं। इसमें से एक मुख्य मशीन के रूप में काम करेगी और दूसरी इस अभियान के लिए बैकअप के रूप में इस्तेमाल की जाएगी। उन्होंने बताया कि इससे पहले बाल रोग विशेषज्ञों को नमूने महानगरों में भेजना पड़ते थे।
इससे परिणाम मिलने में देरी के साथ ही सैंपलिंग और आवागमन के दौरान त्रुटि की संभावना भी बनी रहती थी, जबकि स्क्रीनिंग की प्रमुख सफलता इसके शीघ्र निदान और उपचार की शीघ्र शुरुआत में निहित है, इसलिए श्री अरबिंदो वर्तमान में एकमात्र मेडिकल कॉलेज क्लिनिकल बायोकेमिस्ट्री प्रयोगशाला है, जो तत्काल परीक्षण के बाद जांच रिपोर्ट उन्होंने आगे बताया कि हमारे पास इस अभियान के तहत 24 घंटे काम करने वाली एक सक्षम नवजात स्क्रीनिंग कोर टीम है। इस टीम का नेतृत्व डॉ कविताराती धारवाडक़र, प्रोफेसर और प्रमुख (जैव रसायन विभाग), डॉ प्राची पालीवाल, प्रोफेसर बायोकैमिस्ट्री, डॉ गौरव मोगरा, नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ अमित वर्मा, लैब निदेशक (सेंट्रल क्लिनिकल लैब), डॉ कमल मालूकानी क्वालिटी मैनेजर (सेंट्रल क्लिनिकल लैब) और डॉ सुष्मित कोस्टा, लैब इंचार्ज (मॉलिक्यूलर लेबोरेटरी) करेंगे।
2021 से मनाना शुरू किया गया आईएनएसडी
पहला अंतरराष्ट्रीय नवजात जांच दिवस 28 जून 2021 को मनाया गया। तय किया गया कि इस दिन हर साल आईएनएसडी के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन का चयन विश्व प्रसिद्ध अमेरिकन बायोलॉजिस्ट डॉ रॉबर्ट गुथरी के जन्मदिन पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया था। डॉ गुथरी ने नवजात अवधि में जन्मजात बीमारियों वाले बच्चों का पता लगाने की नींव रखी और नवजात स्क्रीनिंग की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया ।
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