नई दिल्ली। एक ओर जहां भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बैन करने के संकेत मिल रहे हैं और सरकार इसे लेकर चालू शीतकालीन सत्र में बिल पेश करने वाली है। आरबीआई ने इसे बड़ा खतरा बताया है तो दूसरी ओर क्रिप्टो कारोबार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी जोखिम भरा क्षेत्र करार दिया है। ऐसे समय में दिग्गज टेक कंपनी इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने क्रिप्टोकरेंसी का समर्थन किया है।
क्रिप्टो संपत्तियां विचार करने योग्य
एक कार्यक्रम में इंफोसिस के चेयरमैन नीलेकणि ने कहा कि क्रिप्टो संपत्तियां विचार करने योग्य हैं और इसका इस्तेमाल अधिक वित्तीय समावेशन लाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो की संपत्ति के रूप में एक भूमिका हो सकती है, लेकिन स्पष्ट रूप से इससे संबंधित सभी कानूनों का पालन करना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह डिजिटल मुद्रा गतल तरीकों में इस्तेमाल न हो। वित्तीय समावेशन यानी समाज के पिछड़े और कम आय वाले लोगों को वित्तीय सेवाएं मुहैया कराना है।
क्रिप्टो बाजार में अस्थिरता चुनौती
नीलेकणि ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश लगातार बढ़ रहा है। लेकिन बाजार में अस्थिरता के कारण क्रिप्टो लेन-देन को लेकर कई चुनौतियां हैं। गौरतलब है कि नंदन नीलेकणि तकनीकी दुनिया के दिग्गज हैं और साल 2009 यूआईडीएआई (यूनीक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के चेयरमैन भी रहे है। भारत में आधार कार्ड को लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। ऐसे में उनका क्रिप्टो को लेकर दिया गया यह बयान बहुत मायने रखता है।
क्रिप्टोकरेंसी पर बिल लाने की तैयारी
भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने के उद्देश्य से सरकार चालू शीतकालीन सत्र में इसको लेकर बिल पेश करने की तैयारी कर रही है। वित्त मंत्री ने भी संसद में बोलते ही कहा है कि जल्द ही बिल पेश किया जाएगा। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक ने निजी क्रिप्टोकरेंसी को बड़ा खतरा बताते हुए केंद्र सरकार को अपनी डिजिटल करेंसी के संबंध में प्रस्ताव दिया है।
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