नई दिल्ली (New Delhi)। देश की दिग्गज आईटी कंपनी (Country’s leading IT company Infosys) इंफोसिस (Infosys) पर एक बार फिर से टैक्स चोरी के आरोप (Tax evasion allegations) लगे हैं। दरअसल, करीब 32000 करोड़ रुपये (Rs 32000 crore) की कथित टैक्स चोरी के मामले में इंफोसिस की जांच हो रही है। टैक्स चोरी का मामला जुलाई 2017 से 2021-2022 तक का है। इस मामले में कंपनी को नोटिस भी जारी किया गया है।
क्या है कंपनी पर आरोप
एक रिपोर्ट के मुताबिक इंफोसिस सर्विसेस के प्राप्तकर्ता के रूप में सेवाओं के इंपोर्ट पर आईजीएसटी का भुगतान नहीं करने के मामले में जांच के दायरे में है। चूंकि कंपनी कस्टमर्स के साथ अपने समझौते के हिस्से के रूप में सर्विस क्लाइंट के लिए विदेशी शाखाएं खोलती है। ऐसे में उन शाखाओं और कंपनी को आईजीएसटी अधिनियम के तहत ‘विशिष्ट व्यक्ति’ के रूप में माना जाता है। इसलिए कंपनी को देश के बाहर स्थित शाखाओं से प्राप्त सप्लाई पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत जीएसटी का भुगतान करना होगा।
कंपनी ने दी यह प्रतिक्रिया
इस बीच, इंफोसिस ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को दी सूचना में कहा कि कर्नाटक राज्य जीएसटी प्राधिकरण ने लगभग 32,403 करोड़ रुपये जीएसटी भुगतान को लेकर नोटिस दिया है। यह मामला जुलाई, 2017 से मार्च, 2022 के बीच का है। यह इंफोसिस लिमिटेड के विदेशों में स्थित शाखा कार्यालयों के खर्चों से संबंधित है। कंपनी ने कहा कि उसने नोटिस का जवाब दे दिया है। कंपनी का मानना है कि नियमों के मुताबिक ऐसे खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं होता है।
क्या है कंपनी का तर्क
इंफोसिस ने कहा- इसके अलावा, जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के एक हाल के परिपत्र के अनुसार विदेशी शाखाओं द्वारा भारतीय इकाई को प्रदान की जाने वाली सेवाएं जीएसटी के अंतर्गत नहीं आती हैं। कंपनी ने अपने सभी जीएसटी बकाया का भुगतान कर दिया है और इस मामले पर केंद्र और राज्य के नियमों का पूरी तरह से अनुपालन कर रही है। बता दें कि अप्रैल महीने में इंफोसिस ने बताया कि ओडिशा जीएसटी प्राधिकरण ने अयोग्य इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए 1.46 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
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