भोपाल। मप्र पुलिस कागजों में लिखा-पढ़ी से दूर होकर हाईटेक होने की राह पर है। पुलिस मुख्यालय ने ई-विवेचना ऐप बनाया है। इसका ट्रायल शुरू हो गया है। अभी तक पुलिस केस डायरी कागजों पर बनाती है। इससे कई बार चालान पेश करने में देरी होती है। अब कोई घटना होगी तो जांच अधिकारी मौके पर पहुंचकर टेबलेट की मदद से फरियादी और गवाह के बयान के वीडियो बनाकर ऐप पर अपलोड कर देंगे। बाद में इसे बदला नहीं जा सकेगा। इससे आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति नहीं बनेगी। पुलिस मुख्यालय ने पिछले दिनों ई-विवेचना ऐप का ट्रायल शुरू किया है। अधिकारियों को मुख्यालय ने ऐप के इस्तेमाल की ट्रेनिंग देते हुए टेबलेट उपलब्ध करा दिए हैं। अब इन्हें केस की साफ्ट कॉपी बनानी होगी।
तीन मॉड्यूल पर काम करेगा ऐप
एडीजी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो चंचल शेखर के मुताबिक, ई विवेचना ऐप तीन मॉड्यूल पर काम करेगा। पहला मॉड्यूल सीन ऑफ क्राइम, दूसरा घटनास्थल के आसपास व तीसरा केस डायरी है। जांच अधिकारी घटनास्थल के वीडियो-फोटो अपलोड करेगा। घटनास्थल की पूरी लोकेशन पहचान के प्रमुख चिन्हों के साथ सेव की जाएगी। इसी के तहत केस डायरी में पीडि़त, गवाहों के बयान के वीडियो बनाकर अपलोड करने होंगे। जांच के तथ्य आदि भी ऑनलाइन रहेंगे। मुख्यालय में बैठे अधिकारी के साथ ही संबंधित क्षेत्र के सुपरविजन अधिकारी ऑनलाइन मामले की जांच कर सकेंगे। ट्रायल काफी समय तक चलेगा और इसमें आ रही कठिनाइयों को समय-समय पर दूर किया जाएगा। पूरी तरह सफल होने के बाद इसे लागू किया जाएगा। शेखर ने बताया कि आमतौर पर गवाह अपनी बात से पलट जाते हैं। वीडियो होने से नहीं मुकरने का दबाव रहेगा। फिर भी गवाह मुकरता है तो न्यायालय उस पर संज्ञान ले सकता है।
ऐप्लीकेशन के फायदे
सारे सबूत तत्काल अपलोड हो जाएंगे। उनमें बदलाव नहीं किया जा सकेगा। तथ्यों से छेड़छाड़ के आरोप-प्रत्यारोप से मुक्ति मिलेगी। जांच अधिकारी को कागज सहेजना नहीं पड़ेंगे। केस डायरी समयीमा में कोर्ट में पेश की जा सकेगी। केस डायरी के लिए अभी पुलिस को टाइपिंग करनी पड़ती है। ऐप में वाइस टू टेक्स्ट ऑप्शन है। बोलकर भी लिखा जा सकेगा। एक क्लिक से केस डायरी कोर्ट में पहुंच जाएगी। कोर्ट प्रक्रिया में भी आसानी रहेगी।
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