नई दिल्ली (New Delhi)। पिछले साल 23 अगस्त को इसरो ने चंद्रयान-3 (chandrayaan-3) को चांद के दक्षिणी ध्रुव (South pole Moon) पर सॉप्ट लैंड (Soft land.) कराकर इतिहास रच दिया था। अब इसरो चांद पर एक बार फिर अपनी धाक जमाने के लिए जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ काम कर रहा है। दोनों मिलकर लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX) पर काम कर रहे हैं। इसी मिशन का नाम चंद्रयान-4 (Chandrayaan-4) है। चंद्रयान-4 की चांद पर लैंडिंग साइट (Chandrayaan-4 Landing Site) क्या होगी? इसे लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। मिशन पर काम कर रहे एसएसी निदेशक नीलेश देसाई (Nilesh Desai.) ने बताया कि चंद्रयान-4 की लैडिंग साइट का चंद्रयान-3 से गहरा कनेक्शन है।
चंद्रयान-4 पर काम कर रहे एसएसी निदेशक नीलेश देसाई का कहना है कि भारत के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान -4 का मुख्य मकसद चांद से सतह की मिट्टी को भारत वापस लाना है। इस मिशन पर जापान और भारतीय दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। यह मिशन साल 2028 तक लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।
चांद पर कहां लैंड करेगा चंद्रयान-4
नीलेश देसाई ने बताया कि मिशन में हमारी कोशिश है कि चंद्रयान-4 को चांद की उस सतह के पास उतारा जाए, जहां चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई थी। देसाई के मुताबिक, चंद्रयान-3 को शिव शक्ति पॉइंट के उतना पास उतारने की कोशिश की जाएगी, जितना हो सके। बता दें कि शिव-शक्ति पॉइंट चांद पर वो स्थान है, जहां चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई थी।
खास जगह पर लैंडिंग की वजह
देसाई का कहना है कि चंद्रयान-4 को शिव-शक्ति पॉइंट के पास उतारने का कारण बेहद खास है। दरअसल, इस स्थान पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई थी और लैंडिंग के बाद यान ने चांद की सतह पर तमाम खोज की थी। चंद्रयान-4 को अपने मिशन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। शिव-शक्ति पॉइंट वो जगह है, जहां चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चांद की सतह पर पानी समेत कई महत्वपूर्ण चीजों की खोज की थी।
देसाई ने यह भी कहा कि मिशन एक चंद्र दिवस के बराबर होगा। बता दें कि चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। गौरतलब है कि चांद पर रातें बेहद सर्द होती हैं। इस दौरान चांद पर तापमान -200 डिग्री तक चला जाता है। इस दौरान यान के उपकरणों के खराब होने या जमने की काफी संभावना होती है। यही वजह है कि एक चंद्रदिवस के बाद जब इसरो की टीम ने चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम से संपर्क करने की कोशिश की तो नहीं हो पाया।
बेहद जटिल मिशन है चंद्रयान-4
चंद्रयान-4 इसरो का बेहद जटिल मिशन है। इसरो की टीम चाह रही है कि चंद्रयान-3 ने चांद पर जो सफलता हासिल की, यान-4 उससे एक कदम आगे बढ़कर अपना काम शुरू करे ताकि चांद को और समझने में आसानी हो। चंद्रयान-4 मिशन के तहत यान में कई प्रक्षेपण और अंतरिक्ष यान मॉड्यूल शामिल होंगे। इसरो ने मिशन के लिए अलग-अलग पेलोड ले जाने के लिए दो अलग-अलग रॉकेट, हेवी-लिफ्ट एलवीएम -3 और वर्कहॉर्स पीएसएलवी लॉन्च करने की योजना बनाई है।
इस मिशन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य चांद के नमूने एकत्र करना और वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है। अगर चंद्रयान-4 ऐसा करने में कामयाब हो जाता है तो संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
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