नई दिल्ली: हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) के सीईओ और एमडी संजीव मेहता ने हाल ही में एक साक्षात्कार में मनीकंट्रोल को बताया कि पाम ऑयल और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) उद्योग में कीमतें और बढ़ेंगी. उन्होंने कहा कि जब तक कमोडिटी की कीमतें कम नहीं होती हैं तब तक एफएमसीजी प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ते रहेंगे.
उन्होंने कहा, “यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि कीमतों में बढ़ोतरी की सटीक मात्रा क्या होगी, लेकिन जिस तरह से हम इसे देखते हैं अगर कमोडिटी की लागत बढ़ती रहती है तो मूल्य वृद्धि जारी रहेगी.” उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के कारण मार्जिन कम होगा लेकिन इससे रिकवरी हो जाएगी.
इन प्रोडक्ट्स पर होगा सर्वाधिक असर
उन्होंने कहा है कि पाम ऑयल की ऊंची कीमतों के कारण स्कीन क्लीनिंग प्रोडक्ट्स सबसे अधिक प्रभावित होंगे. इसके बाद कच्चे तेल के डेरिवेटिव में तेजी के कारण कपड़े धोने के पाउडर की कीमतों में उछाल आएगा. बकौल मेहता, पाम ऑयल की बढ़ती कीमतों से अन्य कई उत्पादों में भी मूल्य वृद्धि दिख रही है. हालांकि, उन्होंने इंडोनेशिया द्वारा निर्यात बंद किए जाने को कंपनी के लिए बड़ी चिंता का विषय नहीं बताया. उन्होंने कहा कि एचयूएल जिस पाम ऑयल का प्रयोग करती है उसे प्रतिबंधित नहीं किया गया है.
पिछले साल से ही स्थिति ठीक नहीं
पैकेज्ड कंज्यूमर गुड्स कंपनियां वित्त वर्ष 2021 से महंगाई से जूझ रही हैं. यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध ने स्थिति को और खराब कर दिया है और कई प्रमुख वस्तुओं के लिए आपूर्ति की कमी पैदा कर दी है. संजीव मेहता का मानना है कि अगर रूस-यूक्रेन युद्ध थमता है तो कमोडिटी की कीमतें भी काबू में आ जाएंगी.
इंडोनेशिया ने निर्यात पर लगाया प्रतिबंध
पाम तेल के एक प्रमुख निर्यातक इंडोनेशिया ने पिछले सप्ताह इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि वह खुद आपूर्ति में कमी और महंगाई से जूझ रहा है. पाम तेल भारत में कुल खाद्य तेल की खपत का लगभग 40 प्रतिशत और आयात का 60 प्रतिशत है. यह एफएमसीजी और खाद्य और पेय (एफ एंड बी) उद्योगों के लिए एक प्रमुख वस्तु है. भारत मुख्यत: इंडोनेशिया और मलेशिया से इसका आयात करता है.
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