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    महंगाई बेकाबूः एक साल में खाने-पीने के सामान की कीमतों में जबरदस्त इजाफा

  • August 10, 2022

    नई दिल्ली। भारत (Inflation in India) में एक साल में खाने-पीने की कीमतों (food prices) में जबरदस्त इजाफा (tremendous growth) हुआ है। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद कीमतों पर काबू नहीं (Can’t control prices) हो रहा है। यहां तक कि नमक (salt) का भी भाव बढ़ गया है। उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि एक साल पहले चावल (Rice) का भाव 34.86 रुपये किलो था जो अब 37.38 रुपये हो गया है। गेहूं 25 रुपये से 30.61 रुपये जबकि आटा 29.47 से 35 रुपये किलो हो गया है।


    दालों की कीमतों में भी उछाल
    अरहर की दाल एक साल पहले 104 रुपये किलो थी जो अब 108 रुपये किलो है। उड़द दाल 104 से 107 रुपये किलो, मसूर दाल 88 से 97 रुपये किलो और दूध 48.97 से बढ़कर 52.41 रुपये लीटर हो गया है। आरबीआई के अनुमान के मुताबिक, अभी भी खुदरा महंगाई की दर 6 फीसदी से ऊपर ही रहेगी। उपभोक्ता मंत्रालय ने तेल की कीमतों को कम करने के लिए कई बार तेल कंपनियों और संगठनों को बुलाया है। कंपनियों का कहना है कि लगातार वह तेल की कीमतें कम कर रही हैं। पर खुले बाजार में अभी भी तेल की कीमतें 150 रुपये लीटर से ऊपर ही हैं।

    वस्तुएं                                कीमत (8, अगस्त, 22)             कीमत (8 अगस्त, 21)

    मूंगफली तेल                                188                                      176
    सरसों तेल                                    174                                      169
    वनस्पति तेल                               154                                      134
    सोया तेल                                      57                                        148
    सूरजमुखी तेल                              180                                      166
    आलू                                             28                                         20
    नमक                                           20                                          19
    (आंकड़े रुपये में प्रति किलो)

    आटा, मैदा व सूजी निर्यात के लिए गुणवत्ता प्रमाणपत्र जरूरी
    केंद्र सरकार ने गेहूं का आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर अब गुणवत्ता प्रमाणपत्र की मंजूरी जरूरी कर दी है। एक अधिसूचना में कहा गया है कि एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल (ईआईसी) से यह मंजूरी लेनी होगी। इसके प्रमुख केंद्र मुंबई, चेन्नई, दिल्ली और कोलकाता में हैं। दरअसल, 13 मई को जब गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था, उसके बाद से आटा, मैदा और सूजी का निर्यात अचानक बढ़ गया था।

    ऐसी आशंका थी कि घरेलू बाजार में आटा की उपलब्धता पर असर होगा। इससे कीमतें भी बढ़ सकती हैं। इस पर काबू पाने के लिए 12 जुलाई को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने आटा, मैदा और सूजी निर्यात पर भी पाबंदी लगा दी थी। इन सामान के निर्यात के लिए अंतर मंत्रालयी समूह की मंजूरी जरूरी होगी।

    कमोडिटीज की कीमतों को कम करने का प्रयास
    सरकार लगातार कमोडिटीज की कीमतों को कम करने का प्रयास कर रही है। हालांकि पिछले साल की तुलना में इस साल कीमतें काफी ऊंची हैं। खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) जहां जुलाई, 2021 में 5.59 फीसदी थी, वहीं यह जून, 2022 में 7.01 फीसदी पर थी। जुलाई में इसमें मामूली कमी आने के आसार हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यह 6.6 फीसदी के आस-पास रह सकती है। जुलाई का आंकड़ा 12 अगस्त को जारी किया जाएगा।

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