नई दिल्ली। उच्च महंगाई से परिवारों का बजट बिगड़ता जा रहा है। लगातार बढ़ती इनपुट लागत की वजह से मार्जिन में आ रही गिरावट को देखते हुए सभी उद्योगों से जुड़ीं कंपनियां कीमतों का बोझ अब उपभोक्ताओं पर डाल रही हैं। इससे खपत में तेज गिरावट आ रही है और निम्न से लेकर मध्य आय वर्ग वाले परिवारों की बचत 30 साल के निचले स्तर पर आ गई है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में कहा, हमारी गणना बताती है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कुल घरेलू बचत घटकर जीडीपी का 15.7 फीसदी रह गई। यह इसका 30 साल का निचला स्तर है। पिछले पांच वर्षों में घरेलू बचत जीडीपी का 20 फीसदी रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 की पहली छमाही में शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत भी घटकर जीडीपी का 4 फीसदी रह गई। यह भी 30 साल का निचला स्तर है। 2021-22 में यह बचत जीडीपी का 7.3 फीसदी और 2020-21 में 12 फीसदी रही थी।
निवेश व निर्यात के मोर्चे पर हालात बेहतर नहीं
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की हाल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में भले ही मजबूत सुधार दिख रहा है। लेकिन, कुल मिलाकर यह अब भी कमजोर है। घरेलू खपत के अलावा पूंजीगत निवेश के मोर्चे भी हालात बेहतर नहीं हैं। पूंजी की लागत बढ़ रही है, जबकि निर्यात में गिरावट जारी है।
पहली छमाही में औसतन 7.2 फीसदी रही महंगाई
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में खुदरा महंगाई की दर जनवरी, 2023 में बढ़कर 6.5 फीसदी पर पहुंच गई, जो दिसंबर, 2022 में 5.72 फीसदी और पिछले साल नवंबर में 5.88 फीसदी रही थी। इसके अलावा, 2022-23 की पहली छमाही में खुदरा महंगाई की दर औसतन 7.2 फीसदी रही, जबकि पिछले दो साल में यह औसतन 5.8 फीसदी रही थी।
k-आकार में सुधार मांग व वेतन बढ़ाने में मददगार नहीं
आर्थिक आंकड़ों के मुताबिक, ब्याज दरों के मोर्चे पर आरबीआई के नरम रुख के बावजूद महंगाई बढ़ रही है। उच्च कीमतों की वजह से हाल की तिमाहियों में खपत में गिरावट और घरेलू बचत में कमी भारतीय अर्थव्यवस्था में K-आकार में सुधार का प्रमाण है।
इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक, K-आकार में सुधार की वजह से देश में औद्योगिक विकास सुस्त रहने का अनुमान है। यह न तो उपभोक्ता मांग बढ़ा रही है और न ही निम्न-मध्य आय वर्ग के लोगों की वेतन वृद्धि में मदद कर रही है। इन सबका असर घरेलू बचत पर पड़ रहा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved