नई दिल्ली । देश में खुदरा महंगाई दर यानी रिटेल इन्फ्लेशन (Retail Inflation) नवंबर में घटकर 5.53% पर आ सकती है, जो अक्टूबर में 6.21% के 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। एक सर्वे में यह अनुमान लगाया गया है। सब्जियों की ताजा आवक और बाजार में उनकी कीमतों में कमी (Reduction in prices) के कारण यह गिरावट दर्ज की जा सकती है।
यह सर्वे 4 से 9 दिसंबर के बीच किया गया, जिसमें 56 अर्थशास्त्रियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि मौसम से परे खाद्य मुद्रास्फीति को निर्धारित करने वाले अनेक कारक कम हो रहे हैं, जिससे नवंबर और इसके बाद आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। अर्थशास्त्रियों ने खुदरा महंगाई के 5 से 6.10 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान जताया है। औसत अनुमान 5.53 फीसदी का है।
नवंबर में महंगाई दर 5.3 प्रतिशत रहने की संभावना
केवल दो अर्थशास्त्रियों ने इसके छह फीसदी से ऊपर रहने की संभावना जताई है। इससे पहले एसबीआई ने भी अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया था कि चालू वित्त वर्ष के शेष महीनों में महंगाई दर में नरमी देखने को मिलेगी। नवंबर में महंगाई दर 5.3 प्रतिशत रहने की संभावना है, क्योंकि नवंबर में सब्जियों की कीमतों में गिरावट के संकेत हैं। यूनियन बैंक ने भी नवंबर के लिए मुद्रास्फीति के 5.4% तक गिरने का अनुमान लगाया है।
अक्टूबर में तोड़ा था रिकॉर्ड
गौरतलब है कि अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति अप्रत्याशित रूप से बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जो आरबीआई के चार प्रतिशत के सहनशीलता दायरे से काफी ज्यादा थी। पिछले चार वर्षों में सब्जियों की कीमतों में सबसे तेज वृद्धि के कारण इसमें यह उछाल आया था।
वहीं, सितंबर में खाद्य तेलों पर लगाए गए अतिरिक्त आयात शुल्क ने भी कीमतों पर दबाव को काफी हद तक बढ़ा दिया था। वहीं, सितंबर में भी यह आरबीआई के तय दायरे से काफी ऊपर थी। खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण खुदरा महंगाई सितंबर में भी बढ़कर नौ महीने के उच्च स्तर 5.49 फीसदी पर पहुंच गई थी, जो पूर्वानुमान से बहुत ज्यादा थी।
खाद्य महंगाई में बड़ी राहत संभव
सर्वेक्षण में कहा गया है कि मौसम के अलावा, खाद्य महंगाई के अन्य कारक जैसे कृषि इनपुट लागत में वृद्धि, प्रति व्यक्ति आय वृद्धि और खाद्य मांग में कमी आ रही है। इससे यह उम्मीद है कि आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई में भी राहत मिलेगी। इससे पहले अक्टूबर में खाद्य वस्तुओं की मंहगाई दर 10.87 प्रतिशत रही थी। सितंबर में यह 9.24 फीसदी पर थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर में प्याज, आलू, टमाटर समेत अन्य सब्जियों के साथ अनाज और दालों की कीमतों में तेजी दर्ज की गई थी। नई आवक आने से नवंबर में इनमें नरमी देखी जा रही है। ध्यान रहे कि खुदरा महंगाई से जुड़े आंकड़े 1114 शहरी और 1181 राज्य एवं केंद्रशासित राज्यों के ग्रामीण बाजारों से संकलित आंकड़ों के आधार पर तैयार किए जाते हैं।
प्याज, टमाटर और आलू की कीमते बढ़ी सबसे ज्यादा
रसोई के लिहाज से बात करें तो बीते कुछ महीनों में प्याज, टमाटर और आलू की कीमतों में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिली थी। सरकार ने देश के कई हिस्सों में प्याज 35 रुपये किलो बेची लेकिन उसके बाद भी बड़े हिस्से में लोगों को प्याज 70-80 रुपये किलो में मिली।
इसी तरह से टमाटर की कीमते भी 70 रुपये प्रतिकिलोग्राम के स्तर तक जा पहुंची थी। सब्जी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले आलू की कीमतें भी 30 रुपये प्रतिकिलो के पार जा पहुंची थी, जिसका असर अब औसत खुदरा महंगाई पर देखने को मिला।
इसलिए पड़ी थी मार
1. भीषण गर्मी और असामान्य बारिश
2. कई राज्यों में फसलों को भारी नुकसान
3. आलू समेत प्रमुख सब्जियों का उत्पादन कम
4. दाल और फलों के उत्पादन पर भी असर
खुदरा महंगाई की चाल
अक्टूबर 6.21
सितंबर 5.49
अगस्त 3.65
जुलाई 3.60
जून 5.08
मई 4.80
अप्रैल 4.83
आगे भी राहत के आसार
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि यह रुझान जारी रहता है, तो आगामी महीनों में मुद्रास्फीति स्थिर हो सकती है, जिससे भारतीय परिवारों को और राहत मिलेगी।
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