नई दिल्ली (New Delhi)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) (Reserve Bank of India (RBI)) ने एक अप्रैल से शुरू चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए महंगाई दर (inflation rate) यानी मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.50 फीसदी पर बरकरार (Remained at 4.50 percent) रखा। यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 5.40 फीसदी के अनुमान से कम है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को यहां चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक के बाद फैसले की जानकारी देते हुए यह बात कही। दास ने कहा कि मानसून की स्थिति को सामान्य मानते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर 4.50 फीसदी रहने का अनुमान है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई दर 4.90 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.80 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.60 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.50 फीसदी रहने की संभावना है। हालांकि, दास ने अप्रैल-जून के बीच खाद्य पदार्थों की कीमतों के मोर्चे पर सतर्क रहने की जरूरत बताई है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि ईंधन की कीमतों में कमी का असर आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति पर दिखाई देगा। दरअसल, केंद्र सरकार ने आरबीआई को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति को चार फीसदी के स्तर पर रखने का लक्ष्य दिया है। पिछले महीने मार्च में खुदरा महंगाई दर 5.09 फीसदी रही थी।
जीडीपी 7 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने एक अप्रैल से शुरू हुए चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर (gross domestic product (gdp) growth rate) के अनुमान को सात फीसदी पर बरकरार रखा है। हालांकि, यह वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 7.6 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान से कम है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को यहां चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक के फैसले की घोषणा करते हुए यह जानकारी दी। दास ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद की वास्तविक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में सात फीसदी रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी रहने, सितंबर तिमाही में 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि, दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था के सात फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ग्रामीण मांग गति पकड़ रही है, विनिर्माण क्षेत्र में निरंतर वृद्धि से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक व्यापार मार्ग में व्यवधान से कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।
आरबीआई ने फरवरी महीने में वित्त वर्ष 2023-24 की आखिरी मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर सात फीसदी रहने का अनुमान जताया था। गौरतलब है कि इस हफ्ते की शुरुआत में एक अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरबीआई की 90वीं स्थापना दिवस के अवसर पर कहा था कि रिजर्व बैंक को वृद्धि को ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ देते हुए भरोसे और स्थिरता पर ध्यान देना चाहिए।
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