नई दिल्ली। नीति आयोग के उपाध्यक्ष (NITI Aayog Vice President) राजीव कुमार (Rajiv Kumar) ने कहा है कि आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) पर ईंधन और वस्तुओं की कीमतों ( Fuel and Commodity Prices) का बढ़ना रुक सकता है। केंद्रीय बजट (Union Budget) पर एक चर्चा के दौरान राजीव कुमार ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष (Financial Year) के लिए पेश हुए बजट (Budget) से किसी तरह की महंगाई का दबाव (Inflation) नहीं पैदा होगा।
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं के धीरे पड़ने के दो बड़े कारण दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- चीन और अमेरिका का धीमा पड़ना है। उन्होंने कहा कि हमारा बजट बिल्कुल भी महंगाई बढ़ाने वाला नहीं है। हां ये जरूर है कि हम जो भी विश्व से आयात करते हैं, उससे महंगाई बढ़ सकती है।
उन्होंने कहा, ”यह बजट मुद्रास्फीति को बढ़ाने नहीं जा रहा है। मुझे नहीं लगता है कि बजट में किसी तरह का मुद्रास्फीति बढ़ाने वाली बात है। हां ये जरूर है कि वैश्विक स्तर की मुद्रास्फीति का असर होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि 5.9 प्रतिशत से घटकर 4.8 प्रतिशत रहेगी। यह गिरावट काफी हद तक दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में छाई सुस्ती का नतीजा है।”
नीति आयोग उपाध्यक्ष ने कहा, ”ऐसी स्थिति में मुझे लगता है कि तेल और अन्य वस्तुओं की कीमतों पर दबाव नरम होकर कम होगा। लिहाजा मुझे उम्मीद है कि ईंधन और वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि उस तरह होगी जिस तरह वर्ष 2021 में हुई थी।” हालांकि, उन्होंने खाद्य मुद्रास्फीति को बड़ी चिंता का विषय बताते हुए कहा कि प्रशासकीय एवं अन्य तरीकों से इसका बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पेश बजट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें भारत को अगले 25 वर्षों में डिजिटल रूप से सशक्त, विश्वस्तरीय ढांचे से लैस और स्तरीय शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए एक ठोस बुनियाद रखने की बात की गई है। कुमार ने कहा, ”मेरी राय में इस बजट की मुख्य विषयवस्तु अगले 25 वर्षों के लिए एक ठोस बुनियाद रखने से जुड़ी है।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह बजट समावेशी विकास को बेहतर ढंग से अंजाम देने और व्यवस्था के निचले स्तर पर मौजूद लोगों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने की बात करता है।
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