नई दिल्ली। जहां एक ओर भारत में लोग महंगाई की मार से परेशान हैं, तो अमेरिका के लोगों का भी बुरा हाल है। हाल ये है कि देश में मुद्रास्फीति रॉकेट की रफ्तार से आगे बढ़ रही है और यह साल 1982 के बाद एक बार फिर से 6.8 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी की मुख्य वजह आपूर्ति श्रंखला में रुकावटें और कमी है। इसके कारण कीमतों में वृद्धि होती रहती है।
अमेरिकी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो ने जानकारी
अमेरिका के श्रम सांख्यिकी ब्यूरो की ओर से शुक्रवार को दी गई जानकारी के अनुसार, अमेरिका में उपभोक्ता कीमतों में एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में तेज वृद्धि देखने को मिली है। नवंबर 2020 की तुलना में उपभोक्ता कीमतें 6.8 फीसदी तक बढ़ गई हैं। वहीं मासिक आधार पर देखें तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक अक्तूबर से नवंबर में 0.8 प्रतिशत बढ़ा है। ब्यूरो के मुताबिक, एक बार फिर से इस मामले में 1982 का समय वापस आ गया है।
कम आय वाले परिवार ज्यादा प्रभावित
पेट्रोल, किराया, भोजन, नई और पुरानी कारों और ट्रकों की बढ़ती कीमतों के साथ लगभग सभी वस्तुओं के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि व्यापक होती गई है। इस साल भोजन और ईंधन जैसे आवश्यक सामानों की कीमतों में वृद्धि कम आय वाले परिवारों पर विशेष रूप से भारी पड़ी है, क्योंकि यह उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा इसमें खप जाता है। इससे आम उपभोक्ताओं, खासकर निम्न आय वाले परिवारों को रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े सामान काफी महंगे पड़ रहे हैं।
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