नई दिल्ली। एक अप्रैल 2024 भारतीय वित्त वर्ष (indian financial year) का पहला दिन। अरहर की दाल का औसत रेट (Average Rate) 149.23 रुपए था। चीनी 44.44 रुपए की एक किलो थी। सरसों का एक लीटर तेल 135.67 रुपए का था, आलू 24.76 रुपए किलो थे, प्याज 32.38 रुपए और टमाटर 32.97 रुपए किलो थे. ये जो दाम आपने सुने हैं ये औसत दाम थे। ये आंकडे उपभोक्ता मामलों (Consumer Affairs) के मंत्रालय (Ministry) की वेबसाइट पर दिए गए हैं। अब इसी वेबसाइट पर 15 जुलाई के औसत दामों पर नजर डालते हैं. अरहर की दाल 168.75 पर पहुंच गई है, चीनी 45.03 पर, सरसों का तेल 140.82 पर, आलू 37.14 रुपए किलो, प्याज 44.67 रुपए किलो और टमाटर 68.52 रुपए किलो पर पहुंच गए हैं। मुझे उम्मीद है कि ये आंकडे देखने के बाद आपको महंगाई दिख भी रही होगी और महसूस भी हो रही होगी और ये तो एक बानगी मात्र है। इसी वेबसाइट पर और भी कई चीजों के दाम दिए गए हैं।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने भी कुछ आंकडे़ जारी किए हैं। इनके मुताबिक जून में थोक महंगाई दर बढ़ गई है। 3.36 फीसदी पर पहुंच गई है। थोक महंगाई को WPI भी कहते हैं, WPI माने होलसेल प्राइस इंडेक्स। पिछले चार महीनों से WPI में लगातार इजाफा हो रहा है। मार्च में ये 0.53 फसदी थी। अप्रैल में ये 1.26 फीसदी थी, मई में 2.61 फीसदी और अब जून में 3.36 फीसदी। अब सवाल ये कि थोक महंगाई क्यों बढ़ रही है? और जवाब ये कि खाने-पीने की चीजें महंगी हो गई हैं। सरकारी आकंडे तस्दीक करते हैं कि आलू से लेकर प्याज तक और टमाटर से लेकर तमाम सब्जियां महंगी हो गई हैं। तमाम दालें महंगी हो गई हैं।
12 जुलाई को रिटेल महंगाई के आंकडे़ आए थे। जून के महीने में रिटेल महंगाई भी बढ़ गई। 5.08 प्रतिशत पर पहुंच गई। अप्रैल में ये आंकडा 4.85% का था। और मई में रिटेल महंगाई 4.75% पर थी। रिपोर्ट बताती है कि खाने-पीने की चीजें महंगी होने की वजह से रिटेल महंगाई बढ़ गई है। खाद्य महंगाई दर 8.69 से बढ़कर 9.36% पर पहुंच गई है। यही नहीं शहरी महंगाई के साथ-साथ ग्रामीण महंगाई भी बढ़ती जा रही है। रिटेल महंगाई हो या फिर थोक महंगाई। दोनों में एक चीज कॉमन है। दोनों रिपोर्ट एक बात पर मुहर लगाती हैं। वो ये कि खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं। खाने-पीने की चीजें महंगी हो रही हैं।
लेकिन कभी आपने ये सोचा है कि कोई चीज महंगी क्यों होती है और सस्ती कब हो जाती है. दरअसल महंगाई का पूरा गणित काम करता है मांग और सप्लाई के फॉर्मूले पर। अगर किसी चीज की मांग बहुत अधिक है और सप्लाई कम है तो उस चीज के दाम बढ़ जाएंगे। वहीं अगर किसी चीज की सप्लाई अधिक है और मांग बहुत ज्यादा नहीं है तो ऐसे में उस चीज के दाम कम हो जाएंगे। यानी सब्जियों और दालों की मांग तो ज्यादा है लेकिन सप्लाई उतनी नहीं है। और यही कारण है कि इन चीजों के दामों में उछाल आ गया है। लेकिन आखिर ऐसा क्या हो गया कि सब्जियों और दालों की सप्लाई प्रभावित हो गई?
एक बड़ी वजह है उत्पादन में कमी आना। लेकिन उत्पादन में कमी क्यों आई है। दरअसल पिछले काफी वक्त से मौसम ने किसानों का साथ कम दिया है। दालों और अनाजों पर मौसम का असर हुआ है। पिछले करीब एक साल से देश में अलनीनो की स्थिति रही थी। और अब लगातार हो रही बारिश ने भी उत्पादन पर असर डाला है। यही हाल कमोबेश सब्जियों का भी है। सब्जियों का उत्पादन भी काफी प्रभावित हुआ है। इसके बाद बारी आती है सप्लाई की। सप्लाई भी प्रभावित हुई है और इसकी सबसे बड़ी वजह है मानसून। देश के कई हिस्सों में भारी बारिश है।
पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की खबरें रोजाना सामने आ रही हैं। देश का एक बड़ा इलाका बारिश और बाढ़ की चपेट में है। सड़कें और पुल टूटने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। जलभराव और जलजमाव की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। ऐसे में खाने-पीने की चीजों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना परेशानी वाला काम हो गया है। सड़कों पर, हाइवे पर, खाने-पीने से लदे ट्रकों को लाना-ले-जाना खासा परेशानी भरा हो गया है। बारिश की वजह से जाम की स्थिति भी पैदा होती हैं। इस वजह से पेट्रोल-डीजल की खपत ज्यादा होती है। यानी ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ जाती है। यानी सप्लाई बिगड़ गई है, ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ गई है, और इसका असर हो रहा है आपकी औऱ हमारी जेब पर।
एक और बात अगर पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ती हैं तो भी चीजों के दाम बढ़ जाते हैं और इसके कम होने पर दामों में नरमी आ जाती है। जब बात चल ही रही है तो आपको बता दूं कि 15 जुलाई को ही पाकिस्तान सरकार ने एक नया फरमान जारी किया है इसके मुताबिक वहां पर पेट्रोल के रेट 275 रुपए लीटर और हाई स्पीड डीजल के रेट 283 रुपए लीटर हो गए हैं। अब हो सकता है कि बहुत जल्द आपको एक बार फिर पाकिस्तान से आटे की लूट वाले वीडियो देखने को मिल जाएं। अब जब महंगाई से अपना हाल बेहाल है तो शायद बदहाल पाकिस्तान को देखकर कुछ सुकून मिले।
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