नई दिल्ली (News Delhi)। बारिश के समय देश में टमाटर व हरी सब्जियों के साथ साथ जीरा (Cumin seeds) भी महंगाई का तड़का (The dawn of inflation) लगा रहा है। दाल में मिर्ची तीखापन दे रही है। यहां तक कि सब्जी से टमाटर (vegetable to tomato) तो पूरी तरह से गायब हो चुका साथ ही जीरा के दाने भी सब्जी में कम हो गए। क्योंकि जीरा का भाव 1000 रुपये किलो जा पहुंचा है। लाल मिर्च 350 किलो हो चुकी है ।
जानकारी के लिएबता दें कि जीरे ने महंगाई के 70 वर्षों के सारे रिकॉर्ड तोड़कर वर्ष 22 जुलाई 2023 जुलाई में अधिकतम मूल्य प्रति क्विंटल 73000 रुपये पर पहुंचकर तिजोरी में अपना राज कर लिया है। हर घर में पाया जाने वाला एक चुटकी जरा जो हर खाने को सुगंधित और स्वादिष्ट बना देता है उसके औषधीय गुण, मांग और खपत के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुलाई के महीने में जीरे ने एक चुटकी जीरा रसोई में इस्तेमाल करने को सोने के बराबर बना दिया है। जीरा अब रसोई में नहीं तिजोरी में रखा जाएगा। इस छोटे से जीरे की कहानी ऊंट के मुंह से यह जरा तिजोरी तक कैसे पहुंचा उसके बारीकियां पर हम चलते हैं।
अगर हम ऊंझा मंडी से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण करें तो जनवरी 2013 से अब तक की खबरों में लगातार हीरे के भाव बढ़ने की चिंता व्यक्त की गई जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीरे की मांग बढ़ी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सीरिया के गृहयुद्ध के चलते 2011 के बाद से सीरिया से जीरे की आवक कम हुई। अफगानिस्तान से भी आवक कम हुए और विदेशों में भी जीरे के औषधि गुण को लेकर भारत और भारत के बाहर जीरे की मांग बढ़ी, लेकिन उत्पादन प्रभावित हुआ।
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