इंदौर (Indore)। पिछले दिनों शहर के रीगल चौराहे से लेकर मध्य क्षेत्र के कीमती और यातायात (precious and traffic) से भरपूर इलाकों के फुटपाथों पर यकायक कुछ होर्डिंग उगते नजर आए। कुछ होर्डिंग बगीचों (billboard gardens) में लगा दिए गए तो कुछ लेफ्ट टर्न के क्रासिंग पर यातायात की कमर उधेड़ते हुए लगा दिए गए। शहर में हल्ला हुआ। कुछ पार्षदों ने भी अचरज व्यक्त करते हुए ऐसे होर्डिंगों के पिलरों को उधेड़ दिया। अग्निबाण ने जब इसकी खोज-परख की तो पता चला कि निगम में होर्डिंग के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है। टेंडर में इन होर्डिंगों की अनुमति कहीं और की दी गई थी, लेकिन निगम अफसरों ने स्थान परिवर्तन कर न केवल शहर के मध्य, बल्कि फुटपाथों की छाती पर होर्डिंग ठुकवा दिए।
इंदौर नगर निगम में होर्डिंग के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है। जिस शहर पर स्वच्छता का तमगा लगा हुआ था, वहीं अब होर्डिंगों के दाग नजर आ रहे हैं। इसमें शहर के अलग-अलग स्थानों पर विज्ञापन के लिए होर्डिंग्स लगाने का काम जिन कंपनियों को दिया गया है वे कंपनियां तय स्थानों को छोडक़र शहर के प्रमुख स्थानों पर होर्डिंग्स तानकर शहरियों को चुनौती दे रही हैं। पिछले दिनों जब यह होर्डिंग शहर में नजर आए तो पूर्व पार्षद एवं परिषद सदस्य दिलीप शर्मा ने निगम में आपत्ति दर्ज कराई। इस पर निगम परिषद के सदस्य नंदकिशोर पहाडिय़ा ने लैंटर्न चौराहा, 56 दुकान और आदर्श रोड के होर्डिंग के ठीये उखाड़ फेंके। इस संदर्भ में अभी तक महापौर भी अनभिज्ञ हैं और मामले की पड़ताल कर रहे हैं। लेकिन अग्निबाण को अपनी पड़ताल में पता चला है कि नगर निगम द्वारा शहर में विज्ञापन के होर्डिंग्स लगाने के लिए जो टेंडर निकाले गए थे, उसमें शहर को कुल सात भागों में बांटते हुए हर क्षेत्र का अलग से टेंडर था। इन क्षेत्रों में विज्ञापन के लिए बोर्ड के अलग-अलग प्रकार जैसे यूनिपोल, डबल डेकर, लॉलीपॉप को शामिल किया गया था। इसमें हर जोन में होर्डिंग के प्रकार के साथ उसका स्थान भी नक्शे में चिह्नित किया गया था। जोन 1 को छोडक़र बाकी सभी जोन के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनियों को यह टेंडर दिए गए। इसमें जोन 4 और 7 का टेंडर ग्वालियर की दीपक एडवरटाइजर्स और जोन 2, 3, 5 और 6 का टेंडर जबलपुर की एसएस एडवरटाइजिंग को दिया गया। टेंडर में उल्लेखित स्थलों के बजाय दोनों कंपनियों ने मनचाही जगह पर होर्डिंग ठोंकना शुरू कर दिए और निगम व अधिकारी तमाम पार्षदों और जनता के विरोध के बावजूद खामोश बैठे हैं।
रिंग रोड-कनाडिय़ा की अनुमति और यूनिपोल लगा दिए शाी ब्रिज से पलासिया के बीच
काम शुरू करने के साथ ही कंपनियों ने होर्डिंग्स लगाने में गड़बड़ी और मनमानी भी शुरू कर दी। उदाहरण के रूप में देखें तो दीपक एडवरटाइजर को जोन 4 और 7 के तहत यूनिपोल लगाने की अनुमति मिली है। इसमें एमआर-10, पूर्वी रिंग रोड, कनाडिय़ा रोड, राजेंद्र धारकर रोड, रीगल सर्कल, नेहरू प्रतिमा सहित अन्य स्थान शामिल हैं। इसमें रीगल सर्कल पर सिर्फ एक यूनिपोल लगाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कंपनी ने शास्त्री ब्रिज से पलासिया के बीच कुल छह यूनिपोल लगा दिए हैं। इनमें एक शास्त्री ब्रिज पर, तीन रीगल सर्कल पर, एक नाथ मंदिर कार्नर पर और एक इंद्रप्रस्थ टॉवर पर लगाया गया है। इसी तरह की मनमानी कई जगह की गई है। इसमें जहां कंपनी को ज्यादा यूनिपोल शहर के बाहरी क्षेत्रों में लगाना थे, वहीं कंपनी ने उसके विपरीत बीच शहर के मध्य में और मुख्य मार्गों पर यूनिपोल लगाए हैं। जिम्मेदार अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी न तो इन्हें लगाते वक्त रोका गया और न बाद में कोई कार्रवाई की गई।
गलत जगह लगे यूनिपोल हटाए जाएंगे
टेंडर में तब कंपनियों को यूनिपोल लगाए जाने के लिए जो स्थान तय किए गए हैं, वहीं लगना चाहिए। जो यूनिपोल गलत स्थान पर लगे हैं उन्हें हटाया जाएगा।
पुष्यमित्र भार्गव, महापौर, इंदौर
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