भोपाल। राज्य सरकार प्रदेश के छह मेडिकल कालेजों में आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) सेंटर खोलने जा रही है। यह आगामी तीन माह में खोले जाने हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग की मांग पर मेडिकल कॉलेज प्रस्ताव भेज चुके है। जिसमें संसाधनों की मांग की गई है। संसाधनों की उपलब्धता होने पर कॉलेजों में आइवीएफ सेंटर खोला जाएगा। आइवीएफ को बांझपन के उपचार का मुख्य तरीका माना जाता है। जिन महिलाओं को गर्भधारण नहीं होता और वे निसंतान रह जाती हैं,्र्र उनके लिए यह सेंटर वरदान साबित होगा।
इस सेंटर में दंपतियों को निशुल्क गर्भधारण कराने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। जानकारी के अनुसार ग्वालियर के जीआरएमसी सहित इंदौर, भोपाल, जबलपुर, रीवा और सागर के मेडिकल कालेज से भी प्रस्ताव मांगा गया है। निसंतान दंपतियों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मेडिकल कालेजों में आइवीएफ सेंटर खेालने का निर्णय लिया था। ऐसे दंपती जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और संतान उत्पत्ति के लिए व्यय नहीं कर सकते, उनके लिए अब आइवीएफ सेंटर खोलने की दिशा में कदम बढ़ दिए हैं।
यह होती है आईवीएफ तकनीक
ऐसी महिलाएं जिनके गर्भाशय की नसों (ट्यूब) में ब्लाकेज होने से पुरुष के स्पर्म को गर्भाशय में एग से फर्टिलाइजेशन नहीं करा पाती है। उन महिलाओं के एग और पुरुष के स्पर्म को एक परखनली में फर्टिलाइजेशन कराया जाता है। जब भ्रूण तैयार होता है तो उसे महिला के गर्भाशय में प्रवेश करा दिया जाता है, जिसके बाद महिला गर्भधारण कर शिशु को जन्म देती है। जब तक महिला का प्रसव नहीं होता तब तक आइवीएफ सेंटर निगरानी रखता है। जिन दंपतियों पर प्रजनन दवाओं, सर्जरी और कृत्रिम गर्भाधान जैसी अन्य विधियां काम नहीं करतीं, उनके लिए आइवीएफ बेहतर विकल्प है।
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