इंदौर, प्रदीप मिश्रा। बार-बार शटडाउन के चलते नर्मदा विकास प्राधिकरण का इंडस्ट्री वाटर सप्लाय सिस्टम दिनोदिन लगातार खराब होता जा रहा है। पिछले दो महीने में बार-बार शटडाउन के कारण औद्योगिक क्षेत्रों को तय समय पर नर्मदा का पानी नहीं मिल पाने की वजह से निर्माण तो प्रभावित हो ही रहा है, समय पर उत्पादन की डिलेवरी न होने से साख पर भी असर पड़ रहा है। औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों ने बताया कि पिछले अप्रैल महीने में 16 दिन यानि माह में लगभग हर दूसरे दिन शटडाउन के चलते उद्योगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा। शासकीय रिकार्ड के अनुसार पिछले 16 दिनों में 117 घंटे 43 मिनट शटडाउन रहा। इस वजह से नानस्टॉप ,वाटर सप्लाय नहीं हो सका।
मई में 10 दिन में 76 घंटे का शटडाउन
अप्रैल माह में जहां 16 दिन में 117 घण्टे तो मई माह में 76 घण्टे का शटडाउन रहा। इस तरह दोनों माह के 60 दिनों में 213 घण्टे शटडाउन के चलते दो महीने में उद्योगों के लिए सिर्फ 34 दिन ही नर्मदा का पानी सप्लाय हो सका।
एक मिनट शटडाउन का मतलब 4 घण्टे का घाटा
उद्योगों के लिए नर्मदा का यह पानी ओंकारेश्वर-बड़वाह से सिमरोल होता हुआ नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना के जरिये 5 पम्पिंग स्टेशन के जरिये पीथमपुर तक पहुंचता है। इस दौरान यदि एक मिनट का भी शटडाउन होता है तो वाटर सप्लाय मैनेजमेंट 4 घंटे के लिए बिगड़ जाता है।
12 महीने ही है शटडाउन की समस्या
शटडाउन के यह आंकड़े भले पिछले 2 माह के ही हैं, मगर वाटर सप्लाय में रुकावट की यह समस्या सिर्फ दो महीने की नहीं है, बल्कि 12 महीनों की है, क्योंकि शटडाउन हर महीने होता है। प्रशासन द्वारा संजय जलाशय का पानी सिर्फ रहवासियों के लिए आरक्षित किये जाने से उद्योग अब सिर्फ नर्मदा के भरोसे है, लेकिन वाटर सप्लाय सिस्टम में बार-बार रुकावट की वजह से उद्योगों को हर माह लाखो रुपये का फ़टका लग रहा है, वहीं प्रोडक्शन में देरी होने के कारण कम्पनियों की डिलीवरी प्रभावित हो रही है।
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