नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा अपनी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में नितिगत दरों में कोई बदलाव न करने के फैसला पर भारतीय उद्योग जगत ने भविष्य में नीतिगत रुख नरम बनाये रखने की भी उम्मीद जाहिर की है।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ ( फिक्की) की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने ट्वीट कर आरबीआई की नीतिगत दरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी (सितम्बर-मार्च) छमाही को लेकर पूर्वानुमान में पर्याप्त सुधार हुआ है। यह अच्छे संकेत हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था को कोविड-19 ने जिस तरह से प्रभावित किया है, उसे देखते हुए हम आरबीआई और सरकार दोनों से नीतिगत दरों में समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं।
पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने अपने ट्वीट में कहा कि रिजर्व बैंक के वृद्धि अनुमान, जैसे कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जीडीपी के वृद्धि की राह पर लौट आने और पूरे वित्त वर्ष के दौरान गिरावट कम होकर 7.5 प्रतिशत रहने, प्रेरक हैं। इनसे आने वाले समय में आर्थिक व व्यावसायिक गतिविधियों में भरोसे का निर्माण होगा।एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने अपने ट्वीट में कहा कि मुद्रास्फीति की चुनौतियों को देखते हुए आरबीआई का यह फैसला आश्चर्यजनक नहीं है। आरबीआई-एमपीसी ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने अपने ट्वीट में कहा कि आरबीआई द्वारा प्रमुख ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रखने और एक समायोजन रुख बनाए रखने का निर्णय सही निर्णय रहा है। यह देखते हुए कि विकास के आवेग का पोषण करने पर पर्याप्त जोर देने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि आरबीआई वित्तीय बाजारों में पर्याप्त तरलता की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये सभी साधनों का उपयोग करने की इच्छा से उद्योग को बढ़ावा दे रहा है।।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने खुदरा मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर को देखते हुए शुक्रवार को लगातार तीसरी बैठक में नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखा। रिजर्व बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था तेजी से वापसी कर रही है और इसी तिमाही में वृद्धि की राह पर लौट आयेगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा कि रेपो दर चार प्रतिशत पर यथावत रहेगी। इससे पहले जनवरी से अगस्त के दौरान रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती जा चुकी है। (एजेंसी, हि.स.)
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