भोपाल। केंद्रीय भूजल बोर्ड ने औद्योगिक कार्य के लिए भूजल का दोहन करने वाले उद्योगों को अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करने व नलकूपों पर फ्लो मीटर लगाने की अनिवार्यता 24 सितंबर 2020 से की है। इसके बाद भी प्रदेश में चुनिंदा उद्योगों में से मात्र 5 फीसदी ही इसका पालन कर रहे हैं। अब औद्योगिक इकाइयों को शोकाज नोटिस जारी किए जा रहे हैं। केंद्रीय भूजल बोर्ड के इस नियम की आड़ में कई निजी एजेंसियां कार्य रही हैं। नियमों का हवाला देकर 60 से 65 हजार रुपये के फ्लो मीटर के वसूल रही हैं। इसके अलावा जो शुल्क उद्योगों द्वारा केंद्रीय भूजल बोर्ड को आनलाइन ही दिए जाने हैं, उसे भी वसूल रही हैं। कंपनियां उद्योगों को परामर्श देने के नाम पर 65 हजार रुपये वसूल रही हैं। इस तरह एक बोरिंग पर फ्लोमीटर व शुल्क सहित सभी कार्य करने के बदले में उद्योगों से सवा लाख से डेढ़ लाख रुपये ले रही हैं।
इस वजह से हुई अनिवार्यता
केंद्रीय भूजल बोर्ड ने इस संबंध में 24 सितंबर 2020 को एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें सभी उद्योगों को 30 जून 2022 तक आवेदन देने के साथ शुल्क देने के लिए कहा था। जो उद्योग भूजल दोहन करते हैं, लेकिन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनकी फैक्ट्री और नलकूप बंद करने व अपराधिक प्रकरण दर्ज करने का प्रविधान है।
जुर्माने का प्रविधान
यदि किसी उद्योग की भूजल की जरूरत 10 हजार लीटर से ज्यादा है तो 80 रुपये प्रति किलो लीटर प्रतिदिन के हिसाब से पेनाल्टी भरनी होगी। यदि उसने भूजल बोर्ड में आवेदन नहीं दिया है तो उसे एनओसी के आवेदन के लिए एक लाख रुपये विलंब शुल्क भी देना होगा। एसोसिएशन आफ इंडस्ट्री के अध्यक्ष योगेश मेहता का कहना है कि जब भी कोई नियम लाया जाता है तो पहले उद्योगपतियों को जानकारी देनी चाहिए। उद्योगों को बताया जाना चाहिए कि पंजीयन कैसे होगा। शुरुआत में बिना पेनाल्टी के उद्योगों के लिए इस व्यवस्था को लागू किया जाना चाहिए। अलग-अलग चरणों में इस प्रक्रिया को शासकीय मार्गदर्शन में लागू करना चाहिए।
10 हजार लीटर प्रतिदिन से कम खपत पर पेनाल्टी नहीं
भूजल विशेषज्ञ सुधीन्द्र मोहन शर्मा का कहना है कि जिन उद्योगों ने केंद्रीय भूजल बोर्ड से एनओसी नहीं ली है, उन्हें ही पेनाल्टी देनी होगी। यदि उद्योग एमएसएमई में आता है और उसकी भूजल की जरूरत 10 हजार लीटर प्रतिदिन से कम है तो पेनाल्टी नहीं देनी होगी। ऐसी स्थिति में उन्हें सिर्फ बोरिंग फ्लो मीटर लगाना होगा और जो डेटा सर्वर पर भेजा जाएगा, उसका लागिन आइडी व पासवर्ड केंद्रीय भूजल बोर्ड के साथ शेयर करना होगा। सर्वर पर डेटा मेंटेनेंस के नाम पर उद्योगों को दो से चार हजार रुपये प्रतिवर्ष शुल्क फ्लो मीटर लगाने वाली कंपनी को देना होगा।
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