झज्जर. पहले कोरोना और अब किसान आंदोलन (Kisan Aandolan) के चलते बन्द रास्तों (Roads Blocked) ने बहादुरगढ़ के उद्योग की कमर तोड़ दी है. एक साल के दरम्यान इंडस्ट्री को करीबन 20 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है. बढ़ते नुकसान और फैक्ट्रियां बन्द होने से डरे उद्यमियों ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है.
पत्र के जरिये प्रधानमंत्री से दिल्ली की बन्द सड़कें खुलवाने की मांग की गई है. किसान आंदोलन के चलते बहादुरगढ़-दिल्ली सीमा पर एक तरफ़ किसानों की स्टेज लगी है तो दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस की बैरिकेडिंग है. किसानों की स्टेज तक जाने का रास्ता तो खुला है, लेकिन उससे आगे दिल्ली पुलिस ने पक्की दीवार और कंटीले तार जमीन में गाड़ रखे हैं.
लिहाजा पिछले करीबन साढ़े 7 माह से टिकरी बॉर्डर बन्द है. दिल्ली के व्यापारी बहादुरगढ़ व्यापार के लिए नहीं आ पा रहे हैं. ट्रांसपोर्ट खर्चा डबल-ट्रिपल हो गया है. इसके कारण उद्यमी परेशान हैं. बहादुरगढ़ के उद्यमियों का कहना है कि उन्हें किसानों के आंदोलन से दिक्कत नहीं है, उन्हें तो दिक्कत दिल्ली के बन्द रास्तों से हो रही है और उन्हीं को खुलवाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है.
बहादुरगढ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नरेंद्र छिकारा ने बताया कि बहादुरगढ में बड़ी, छोटी और मध्यम दर्जे की इंडस्ट्री मिलाकर करीबन 9 हजार फैक्ट्रियां हैं, जिनमें साढ़े सात लाख के करीब लोगों को रोजगार मिला हुआ है. अब चूंकि दिल्ली की सड़क बन्द हैं तो दिल्ली से आने वाले कर्मचारी भी नहीं आ पा रहे हैं. जो व्यापारी सीधा फैक्ट्री आकर माल खरीदता था वो भी नहीं आ रहा. प्रोडक्शन और माल ढुलाई कॉस्ट बढ़ गई है.
अब तो उनकी प्रधानमंत्री से इतनी सी अपील है कि किसानों की नहीं तो उनकी पुकार सुन लें और उनका समाधान निकाल दें. बन्द सड़कें तो खुलवा ही दें, ताकि कोरोना और आंदोलन के कारण बन्द सड़कों से हुए नुकसान की भरपाई उद्यमी अपनी मेहनत से पूरी कर सके.
बता दें कि बहादुरगढ़ देश का ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा जूता मैन्युफैक्चरिंग हब है. यहां से विदेश में हजारों करोड़ का एक्सपोर्ट भी होता है. कोरोना की मार से जो राहत पैकेज केंद्र ने जारी किया था यहां के उद्यमी उसे राहत की बजाय लोन पैकेज कहता है. उद्यमी का कहना है कि फैक्ट्री का उत्पादन ठप्प और ब्याज का मीटर धड़ाधड़ चल रहा है. ऐसे में उम्मीद अब प्रधानमंत्री से है, ताकि ठप पड़ा काम एक बार फिर से पटरी पर लौटे और और पिछले नुकसान की भरपाई की जा सके.
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