नई दिल्ली। कोविड-19 की महामारी और लॉकडाउन के असर से अर्थव्यवस्था को उबारने के प्रयास को दोहरा झटका सरकार को लगा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक एक ओर अगस्त महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 8 फीसदी की गिरावट आई है। दूसरी ओर सितम्बर महीने में खुदरा महंगाई दर एक बार फिर बढ़कर 7.34 फीसदी के स्तर पर जा पहुंची है।
एनएसओ के मुताबिक खुदरा महंगाई दर सितम्बर महीने में बढ़कर 7.34 फीसदी के स्तर पर जा पहुंची है। इसकी वजह खाद्य पदार्थों की उच्च कीमतें रहीं है। ज्ञात हो कि खाने के सामान की महंगाई दर कुछ कम होने से अगस्त 2020 में खुदरा महंगाई दर में थोड़ी राहत मिली थी, जो जुलाई के 6.73 फीसदी के स्तर से घटकर 6.69 फीसदी दर्ज की गई थी। हालांकि, सितम्बर 2019 में खुदरा महंगाई दर 3.99 फीसदी थी। वहीं, आंकड़ों के मुताबिक खाद्य पदार्थों की महंगाई सितम्बर में बढ़कर 10.68 फीसदी हो गई, जो अगस्त महीने में 9.05 फीसदी थी।
औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे पर भी झटका
एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त महीने में औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे पर भी झटका लगा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन अगस्त महीने में 8 फीसदी गिर गया। इसकी मुख्य वजह मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और पावर जनरेशन सेक्टर्स में कम उत्पादन है। आईआईपी के मुताबिक अगस्त 2020 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 8.6 फीसदी, खनन क्षेत्र का 9.8 फीसदी और बिजली क्षेत्र के उत्पादन में 1.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इससे पहले अगस्त 2019 में आईआईपी में 1.4 फीसदी की गिरावट आई थी।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा है कि कोविड-19 आने के बाद के महीनों के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक की कोरोना महामारी से पहले के महीनों के आईआईपी से तुलना करना सही नहीं होगा। मंत्रालय का मानना है कि प्रतिबंधों में धीरे—धीरे मिली छूट से आर्थिक गतिविधियों में सुधार आया है। ज्ञात हो कि ये सुधार अलग स्तर पर और आंकड़ों की रिपोर्टिंग के स्तर पर भी देखा गया है। (एजेंसी, हि.स.)
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