लखनऊ । उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण लखनऊ-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (Lucknow-Kanpur National Highway) के 80 किलोमीटर के दायरे में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Industrial Corridor) विकसित करेगा। इसके लिए एक्स लीडा (लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण) क्षेत्र का मास्टर प्लान 2041 (Master Plan 2041) मंजूर कर लिया गया है। इस योजना के तहत लखनऊ जिले के 45 और उन्नाव के 40 गांवों को अधिसूचित क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है। यह लगभग 300 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं। इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए नई दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर को परामर्शदाता के रूप में नियुक्त किया गया है।
मास्टर प्लान 2041 के तहत इसे कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे और लखनऊ रिंग रोड को मौजूदा एनएच-27 के साथ जोड़ा गया है। मास्टर प्लान में इन सभी परियोजनाओं को मल्टीमॉडल ट्रांजिट और लॉजिस्टिक्स हब के रूप में विकसित करने की योजना है। मास्टर प्लान -2041 के तहत पांच ज़ोन बनाए गए हैं। यह वेयरहाउसिंग एग्लोमेरेशन, आवासीय विकास और एक्सप्रेसवे तथा रिंग रोड जैसी आगामी अवसंरचनाओं पर आधारित हैं।
मास्टर प्लान -2041 के प्रस्ताव पर विभिन्न राज्य सरकारी विभागों, जैसे यूपीईडा, यूपीडीआईसी, पंचायती राज कार्यालय, सीटीसीपी, राज्य पर्यटन विभाग, यूपीपीसीबी, लखनऊ विकास प्राधिकरण, कमिश्नर-लखनऊ और उन्नाव-शुक्लागंज विकास प्राधिकरण के साथ विचार-विमर्श किया गया है। इन विभागों ने बेहतर औद्योगिक सुविधाओं, अवसंरचना विकास और पर्यावरणीय संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसके साथ ही मौजूदा चमड़ा उद्योगों के प्रभाव, नवाबगंज बर्ड सेंचुरी को पर्यटन स्थल के रूप में शामिल करने और सड़कों की चौड़ाई पर पुनर्विचार जैसे मुद्दों को भी उठाया गया है। सार्वजनिक सुझाव और आपत्तियां भी आमंत्रित की गई हैं, जिससे यह योजना और अधिक पारदर्शी और समावेशी बन सके।
इनका कहना है
यूपीसीडा सीईओ मयूर माहेश्वरी ने बताया कि मास्टर प्लान में एक्स लीडा को राज्य राजधानी क्षेत्र यानी एससीआर से जोड़ा गया है। लखनऊ-एससीआर का विकास दिल्ली-एनसीआर जैसे प्रमुख शहरी केंद्रों का एक मजबूत विकल्प बनकर उभर रहा है। यह पहल न केवल निजी निवेश को आकर्षित करेगी, बल्कि आस-पास के भीतरी इलाकों में भी महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव डालेगी। इस मास्टर प्लान को हाल में यूपीसीडा की बोर्ड बैठक में मंजूरी दी गई।
इससे ये होंगे लाभ
-एससीआर में शामिल जिलों में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर सृजित कर लखनऊ की भीड़भाड़ को कम किया जाएगा
-इस पहल से क्षेत्र में परिवहन, लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी
-लखनऊ और कानपुर को जोड़ने वाले हाई-स्पीड डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर एससीआर के विकास के लिए मजबूत नींव रखेगा।
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