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    इंदौरी दाऊद बना दीपक मद्दा, जिसे पुलिस कभी पकड़ ही नहीं पाती

  • January 30, 2023

    • नेता-अफसरों की सांठगांठ के चलते हर बार फरारी काटने के बाद पा जाता है अदालतों से जमानत, गृह विभाग के साथ की गई धोखाधड़ी के बावजूद गिरफ्तारी पर रोक के आदेश ले आया – अब पुलिस कर रही अपील का दावा

    इंदौर (Indore)। फिल्मी डॉन को तो 11 मुल्कों की पुलिस नहीं पकड़ सकी। वहीं मुंबइया डॉन दाऊद (don dawood) को भी सबसे मुस्तैद मानी जाने वाली मुंबई पुलिस आज तक नहीं गिरफ्तार कर सकी और दुबई (Saki and Dubai) से लेकर पाकिस्तान तक दाऊद अपने अवैध धंधे बेखौफ कर रहा है। इंदौरी भूमाफिया दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक मद्दा भी मानों किसी दाऊद से कम नहीं है और इंदौर पुलिस उसे आज तक पकड़ ही नहीं सकी है। चंद मिनटों में प्रवासी का मोबाइल ढूंढने से लेकर कई अपराधियों के निर्माणों को जमींदोज कर चुकी इंदौर पुलिस आखिर मद्दे को क्यों नहीं पकड़ पाती? इसके पीछे नेता-अफसरों की सांठगांठ रही है और भोपाली कनेक्शन भी हर बार मददगार साबित हुए। यहां तक कि पुलिस अपने ही गृह विभाग के फर्जी पत्र के मामले में ही दर्ज एफआईआर के आधार पर मद्दे को गिरफ्तार नहीं कर पाई और वह अपनी गिरफ्तारी पर रोक का आदेश भी अदालत से ले आया।

    2009-10 में गृह निर्माण संस्थाओं के फर्जीवाड़ों में शामिल माफियाओं पर पहला ऑपरेशन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ही शुरू करवाया और उस दौरान बॉबी छाबड़ा सहित कई चर्चित माफिया जेल भी गए और महीनों बाद छूट सके। उसके बाद दूसरा ऑपरेशन कांग्रेस राज में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चलाया। उस दौरान भी कुछ भूमाफियाओं की गिरफ्तार हुई और उनके अवैध निर्माणों को जमींदोज भी किया गया। तत्पश्चात अभी तीसरा ऑपरेशन भूमाफिया मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 2021 में शुरू किया और तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने दीपक मद्दे सहित अन्य माफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। मजे की बात यह है कि 2009-10 के पहले अभियान में भी मद्दे के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी और उसने लम्बी फरारी काटी और जब अभियान ठंडा पड़ा तो हाईकोर्ट से जमानत हासिल कर फिर जमीनों की हेरा-फेरी में जुट गया।


    अभी 2021 में फिर चले अभियान में आधा दर्जन अलग-अलग एफआईआर थानों में पुलिस-प्रशासन और सहकारिता विभाग ने दर्ज करवाई, लेकिन उसके पहले ही मद्दा परिवार सहित फरार हो गया और फिर गृह विभाग के फर्जी पत्र के आधार पर हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट से जमानतें भी हासिल कर ली और फिर शहर में नजर आने लगा। वहीं पिछले दिनों गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा के नाम से रासुका निरस्ती का फर्जी पत्र बनवा लिया और जब यह मामला उजागर हुआ तो अभी 8 दिसम्बर को मद्दे के खिलाफ खजराना थाने पर एफआईआर दर्ज करवाई। मगर तीसरी बार भी एफआईआर दर्ज होने के साथ ही मद्दा फिर फरार हो गया और पिछले दिनों हाईकोर्ट से अपनी गिरफ्तारी पर रोक का आदेश भी ले आया और पुलिस को इसकी भन तक नहीं पड़ी, ऐसा उसके आला अधिकारी कहते हैं। अब पुलिस कमिश्नर हरीनारायणचारी मिश्र का कहना है कि इस मामले में पुलिस अपील कर रही है।

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