23 तीन कोच के सेट अभी आना है बाकी, ट्रायल रन के लिए 5 स्टेशन तेजी से हो रहे हैं तैयार, अत्याधुनिक दूरसंचार, सिग्रलिंग सिस्टम पर भी अब काम शुरू
इंदौर। मेट्रो का ट्रायल रन प्रायोरिटी कॉरिडोर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा लिया गया था। वहीं अब उसी ट्रैक पर 5 स्टेशन तेजी से तैयार हो रहे हैं। वहीं अभी पिछले हफ्ते 3 कोच का एक और सेट इंदौर आ गया। कुल मिलाकर 3 कोच वाले 25 सेट इंदौर मेट्रो को मिलेंगे, जिसमें से 2 सेट आ चुके हैं और अब 23 भी इसी तरह बड़ौदा की फैक्ट्री से तैयार होकर इंदौर भेजे जाते रहेंगे। इस साल 17 किलोमीटर के ट्रैक पर मेट्रो ट्रेन दौड़ सकती है, जिसमें शहरवासी यात्रा कर सकेंगे। एयरपोर्ट से लेकर रेडिसन, रोबोट तक यह ट्रैक तैयार किया जा रहा है।
इंदौर-भोपाल मेट्रो का काम बीते एक साल से तेज गति से चल रहा है और इंदौर में गांधी नगर से सुपर कॉरिडोर तक 5.9 किलोमीटर का ट्रायल रन भी लिया गया और इसी ट्रैक पर तेजी से काम चल रहा है। दूसरा ट्रायल रन भी आने वाले दिनों में संभव होगा। 5 मेट्रो स्टेशन इस हिस्से में तैयार किए जा रहे हैं और अभी पिछले हफ्ते ही बड़ौदा के सावली स्थित फैक्ट्री से मेट्रो ट्रेन का दूसरा सेट भी लम्बी दूरी तय कर इंदौर पहुंच गया है, जिसे अभी गांधी नगर डिपो पर खड़ा किया गया है। वैसे तो दावा किया गया है कि इस साल जून के बाद गांधी नगर से रेडिसन चौराहा तक मेट्रो ट्रेन में इंदौरियों को यात्रा करवा दी जाएगी। अब देखना यह है कि 17 किलोमीटर का यह ट्रैक कितनी जल्दी तैयार होता $है। वैसे गांधी नगर से एयरपोर्ट वाले हिस्से में काम बचा है और जब तक एयरपोर्ट से लेकर रेडिसन चौराहा तक कनेक्टीविटी नहीं होगी तब तक यह 17 किलोमीटर का ट्रैक लाभदायक साबित नहीं होगा। क्योंकि अभी अधिकांश लोग सुपर कॉरिडोर पर आवागमन एयरपोर्ट जाने-आने के चलते ही होता है। अगर रेडिसन चौराहा से एयरपोर्ट तक का यह ट्रैक इस साल शुरू हो जाता है तो एयरपोर्ट जाना-आना आसान हो जाएगा। विजय नगर क्षेत्र से लोग मेट्रो में बैठकर सीधे एयरपोर्ट पहुंं च जाएगा, जिसमें अभी आधे से एक घंटे का समय चार पहिया वाहन से जाने में लगता है, क्योंकि पूरे एमआर-10 से लेकर लवकुश चौराहा और उसके आगे तक यातायात अधिक मिलता है। हर कोच में 50 लोगों के बैठने और 300 लोगों के खड़े होने की जगह रहेगी। यानी एक ट्रैन सेट में एक हजार से अधिक यात्री सफर कर सकेंगे। अभी अत्याधुनिक सिग्रलिंग, दूरसंचार सहित अन्य सिस्टम पर भी काम शुरू हो गया है। इंदौर का मेट्रो प्रोजेक्ट वैसे भी अत्याधुनिक है और पूर्व में जो मेट्रो प्रोजेक्ट दिल्ली सहित अन्य शहरों में आए और उनमें जो सुधार हुआ उन सबका इस्तेमाल इंदौ-भोपाल मेट्रो में किया जा रहा है, जिसमें यात्रियों को जहां अधिक सुविधाएं मिलेंगी, वहीं दिव्यांगों और बुजुर्गों से लेकर अन्य लोगों के लिए भी मेट्रो का सफर सुविधाजनक रहेगा।
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