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    इंदौर का प्लेस ऑफ सैफ्टी ही अनसैफ

  • September 07, 2020


    – 17 बिगड़ैल बच्चे चार बार हुए रफूचक्कर
    इंदौर, कमलेश्वरसिंह सिसौदिया।
    18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे अपराध करते हैं तो उन्हें सुधारगृह में रखा जाता है। प्रदेश के हर जिले में बाल सुधारगृह होते हैं। मध्यप्रदेश के 2 जिलों में स्पेशल व्यवस्था के तहत बच्चों के लिए प्लेस ऑफ सैफ्टी (सुरक्षित स्थान) बनाए गए हैं। इनमें एक सिवनी तो दूसरा इंदौर में है, लेकिन व्यवस्था इतनी लचर है कि यह प्लेस ऑफ सैफ्टी ही अनसैफ हैं और यहां से बच्चों का भाग जाना आम बात हो गई है।
    परदेशीपुरा में विशेषगृह बालक या बाल सुधारगृह है। यहां उन बच्चों को रखा जाता है, जो 18 वर्ष से कम उम्र में जाने-अनजाने में अपराध कर बैठते हैं। यहां इनके रहने, खाने और अन्य समुचित व्यवस्थाएं की जाती हैं। बच्चों के लिए अलग से किशोर न्याय बोर्ड भी बना है, जहां इनसे संबंधित केस चलते हैं। इंदौर का प्लेस ऑफ सैफ्टी, यानी बाल सुधारगृह शुरू से ही जर्जर अवस्था में है। वर्ष 2016 में मध्यप्रदेश शासन ने इसे ऐसे बच्चों के लिए, जिन पर कानून की अवहेलना का प्रकरण बनता है, उस हिसाब से सुरक्षित स्थान का दर्जा दिया था। यह महिला एवं बाल विकास के अंतर्गत आता है। विभाग कई बार शासन-प्रशासन को बिल्डिंग की जर्जर अवस्था से अवगत करा चुका है।
    सिर्फ 4 होमगार्ड के जवान
    यहां पर करीब 30 बच्चे रहते हैं, जिनमें से कई तो 21 साल से भी ज्यादा उम्र के हैं। दरअसल इन्होंने बचपन में कोई अपराध किया था। केस लंबा चला, जिसकी सजा अभी तक यहां चल रही है। इसलिए यहां 25 से 30 साल उम्र के बड़े व्यक्ति भी रहते हैं। इसमें नियमों का पेंच है, इसलिए इन्हें बड़ी जेल के बजाय प्लेस ऑफ सैफ्टी में स्थान मिल जाता है। सुरक्षा के नाम पर यहां होमगार्ड के 4 जवान मौजूद हैं।
    यह है शासन की मंशा
    सरकार बड़ों द्वारा किए गए अपराधों के लिए जिला कोर्ट, हाईकोर्ट में प्रकरण चलाती है तो 18 वर्ष से कम उम्र में किए अपराध के लिए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत अलग व्यवस्था की गई है। इसमें जेल के बजाय सुधारगृह शब्द का उपयोग किया गया है, ताकि बच्चे बड़े होकर समाज में स्वयं को अपमानित महसूस न करें। इसके लिए सरकार ने बच्चा जेल शब्द के बजाय बाल सुधारगृह शब्द का उल्लेख करने के निर्देश दिए हैं। यहां बच्चों के लिए घर जैसी हर सुविधा मौजूद रहती है। विडंबना ही है कि अधिकतर बच्चे अपराध की दुनिया में कदम रखते हैं तो फिर सामान्य जीवन की ओर नहीं लौटते। सरकार की यही मंशा है कि कैसे भी इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए।
    अकसर भाग जाते हैं बच्चे
    बाल सुधारगृह से बच्चों का भाग जाना कोई नई बात नहीं है। यहां से अकसर बच्चे भाग जाते हैं। पिछले 1 साल की बात करें तो अगस्त 2019 में 8, नवंबर 2019 में 5, मई में 2, 23 जुलाई को 2 बच्चे यहां से रफूचक्कर हो गए। यानी 1 साल में 17 बच्चे गायब हो गए। इनमें से अगस्त में भागे दो बच्चे मिले थे। उन्हीं में से 23 जुलाई को फिर शरारती बच्चे भाग निकले।
    हाईकोर्ट ने भी लिया संज्ञान
    इंदौर हाईकोर्ट ने बच्चों के यहां से अकसर भाग जाने के मामले में विभाग को कई बार नोटिस देकर जवाब भी मांगा, लेकिन यह आदतन अपराधी किस्म के बच्चे अपनी कारस्तानी से बाज नहीं आते। वहीं पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम भी यहां नहीं है।

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