केंद्र की नई नीति को लेकर अटका मामला…
अफसर भी फिलहाल ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं
इंदौर। जितने जोर-शोर से इंदौर की नई रिंग रोड का प्रस्ताव (Indore’s new ring road proposal) नई दिल्ली (New Delhi) भेजा गया था, उससे लग रहा था कि मानो इसी साल प्रोजेक्ट का भूमिपूजन भी हो ही जाएगा। हालांकि, नई दिल्ली स्थित केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय पहुंचकर इंदौर का प्रोजेक्ट अटक गया है। बताया जा रहा है कि मंत्रालय स्तर पर शहरों की रिंग रोड बनाने को लेकर नई नीति बनाने की प्रक्रिया हो रही है। उसी के बाद इंदौर समेत दूसरे शहरों के प्रोजेक्ट पूरे होंगे।
स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों और विभागों की सहमति बनने के बाद नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने इंदौर की नई रिंग रोड का प्रोजेक्ट मई में नई दिल्ली भेजा था। लगभग 140 किलोमीटर लंबी रिंग रोड के निर्माण की लागत 6000 करोड़ रुपए आंकी गई है। तभी से जनता के अलावा किसानों और जमीन मालिकों की निगाहें दिल्ली पर टिकी हैं कि कब प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलती है? सूत्रों की मानें तो अब तक इंदौर की रिंग रोड को लेकर मंत्रालय स्तर पर कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है, क्योंकि इसके लिए नई नीति बनने का इंतजार हो रहा है।
राज्य सरकार ने दी है 25 प्रतिशत मुफ्त जमीन देने की सहमति
इंदौर की रिंग रोड बनाने के लिए राज्य सरकार ने एनएचएआई को 25 प्रतिशत जमीन मुफ्त देने की मंजूरी दी है। रिंग रोड के प्रस्ताव के साथ इसकी सहमति भी केंद्र को भेजी गई है। एनएचएआई के रीजनल ऑफिसर श्रवणकुमार सिंह ने इस बारे में केवल इतना बताया कि हमने प्रस्ताव मुख्यालय को भेज दिया है। आगे की प्रक्रिया वहीं से होगी। अभी यह कहना कठिन है कि इंदौर का प्रोजेक्ट कब मंजूर होगा
सांसद चेयरमैन से मिलकर याद दिलाएंगे गडकरी की घोषणा
इधर, नई रिंग रोड के प्रोजेक्ट की मंजूरी में हो रही देरी को लेकर जल्द इंदौर के सांसद शंकर लालवानी जल्द ही एनएचएआई के चेयरमैन से मुलाकात करेंगे। उन्होंने चेयरमैन से समय मांगा है। सांसद उन्हें बताएंगे कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इंदौर में नई रिंग रोड बनाने की घोषणा की थी और तमाम प्रक्रियाओं के बाद यह प्रोजेक्ट मंत्रालय को भेज दिया गया है। चेयरमैन से आग्रह किया जाएगा कि मंत्रालय उसे जल्द मंजूरी दे
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