राज्य सरकार 25 प्रतिशत जमीन देने को तैयार
इंदौर। अमित जलधारी
एक अहम फैसला लेते हुए मध्यप्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) ने नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highways Authority of India (एनएचएआई) को इंदौर (Indore) की प्रस्तावित रिंग रोड (Ring Road) बनाने के लिए जरूरी जमीन में से 25 प्रतिशत जमीन मुफ्त देने की सहमति दे दी है। हालांकि एनएचएआई ने रिंग रोड के लिए 100 प्रतिशत जमीन मुफ्त मांगी थी, जिसकी तुलना में यह आंकड़ा बहुत कम है। अब प्रदेश सरकार का सहमति पत्र नई दिल्ली (New Delhi) स्थित केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Union Ministry of Road Transport and Highways) को भेजा जाएगा, ताकि रिंग रोड के लिए आगे की रूपरेखा बनाई जा सके। नया बायपास लगभग 125 किलोमीटर लंबा होगा और यह शहर के हर नेशनल हाईवे को बाहर ही बाहर आपस में जोड़ देगा।
एनएचएआई अफसरों ने राज्य सरकार की तरफ से लिखित सहमति आने की पुष्टि करते हुए बताया कि अब यह मंत्रालय स्तर पर ही तय होगा कि वह इतनी कम जमीन में इंदौर की रिंग रोड बनाने को तैयार होता है या नहीं? वैसे मंत्रालय ने यह नीतिगत फैसला लिया है कि जिन शहरों में नई रिंग रोड बनाई जाना हैं, उसके लिए जमीन राज्य सरकार एनएचएआई को मुफ्त उपलब्ध कराए। सडक़, फ्लायओवर, व्हीकुलर और पैडस्ट्रियन अंडरपास का निर्माण केंद्र सरकार अपने खर्च पर करेगी। एनएचएआई को उम्मीद थी कि राज्य सरकार कम से कम 50 से 75 प्रतिशत जमीन मुफ्त देने की सहमति तो देगी, लेकिन 25 प्रतिशत जमीन मुफ्त देने की सहमति दी है।
अफसरों ने अलाइनमेंट देखा
सोमवार को एनएचएआई अफसरों ने नई रिंग रोड के लिए संभावित अलाइनमेंट देखने के लिए मैदान पकड़ा। वे इंदौर-अहमदाबाद, इंदौर-खलघाट और इंदौर-देवास हाईवे घूमे और देखा कि कहां-कहां से नई रिंग रोड क्रॉस करवाई जा सकती है। इन हाईवे के अलावा नई रिंग रोड इंदौर-उज्जैन, इंदौर-बैतूल-हरदा और इंदौर-अकोला हाईवे को भी क्रॉस करेगी। हालांकि स्थानीय प्रशासन पश्चिमी रिंग रोड का हिस्सा पहले बनाने के प्रयास में है। एनएचएआई अफसर मानते हैं कि पूर्वी बायपास के आसपास हो रही बसाहट को देखते हुए इंदौर के चारों तरफ ही नई रिंग रोड बनाना जरूरी है। इसे बनने में भी चार-पांच साल लगेंगे।
चौड़ाई और लागत अभी तय नहीं
राज्य सरकार ने इंदौर की नई रिंग रोड बनाने के लिए जरूरी जमीन में से 25 प्रतिशत जमीन मुफ्त देने की सहमति दी है। अब इसकी जानकारी मुख्यालय को देकर वहां से मिले दिशानिर्देशों के अनुसार प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। नई रिंग रोड कितनी चौड़ी बनेगी, लागत कितनी होगी और कितनी जमीन की जरूरत होगी, यह प्रस्ताव की मंजूरी के बाद तय होगा।
– एसके सिंह, रीजनल ऑफिसर, एनएचएआई (एमपी)
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