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    2041 का ही बनेगा इंदौर का मास्टर प्लान, सांघी ट्रस्ट की जमीनें होंगी आवासीय

  • July 12, 2023

    • नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय की समीक्षा बैठक के जारी कार्रवाई विवरण से हुई पुष्टि, हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी जीता सांघी परिवार, पहले रेसीडेंशियल की, उसके बाद फिर ग्रीन बेल्ट में डाल दी जमीन

    इंदौर। अग्निबाण (Agniban) की खबर (News) पर एक बार फिर सच्चाई की मोहर (stamp of truth) लगी। पिछले दिनों 2035 के बजाय 2041 के इंदौरी मास्टर प्लान (Indori master plan) पर भोपाली मंथन (Bhopali Manthan) का समाचार प्रकाशित किया था। दरअसल नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय ने अभी 21 जून को जो समीक्षा बैठक आयोजित की थी उसमें इंदौर के मास्टर प्लान को लेकर विस्तृत चर्चा की गई और अब इस बैठक का जो कार्रवाई विवरण मंत्रालय ने जारी किया है उसमें भी यह स्पष्ट कर दिया कि इंदौर के मास्टर प्लान को अब 2035 के स्थान पर 2041 के मुताबिक तैयार किया जाए, जिसमें खाली पड़ी सरकारी जमीनों, यातायात, ई-कॉमर्स में हो रही वृद्धि के साथ-साथ मेट्रो और सुपर कॉरिडोर के दोनों तरफ का क्षेत्र टीओडी में प्रस्तावित किए जाने की अनुशंसा भी की गई है। वहीं दूसरी तरफ पहले हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जीते सांघी ट्रस्ट की ग्रीन बेल्ट कर दी गई 7.79 एकड़ जमीनों को फिर आवासीय किया जाएगा, जिसके लिए धारा 23 (क) के तहत नगर तथा ग्राम निवेश ने सूचना जारी कर दी है।

    इंदौर का मास्टर प्लान लागू करना वैसे भी शासन के लिए हमेशा ही टेढ़ी खीर रहा है और अभी भोपाल के मास्टर प्लान का प्रारुप प्रकाशित किया गया, जिस पर आपत्तियों का ढेर लग गया और कई तरह के आरोप भी लगने लगे। दूसरी तरफ पिछले दिनों ही उज्जैन का मास्टर प्लान घोषित किया। मगर उसमें भी मंत्री मोहन यादव और अन्य रसूखदारों द्वारा सिंहस्थ टाउनशिप की जमीनों को आवासीय करने का खेल उजागर हुआ, जिसके चलते मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश पर 184 हेक्टेयर जमीन को आवासीय से फिर कृषि में परिवर्तित करने की प्रक्रिया नगर तथा ग्राम निवेश ने शुरू की है।

    वहीं अभी चूंकि चुनावी साल है। ऐसे में अगर इंदौर के मास्टर प्लान का प्रारुप प्रकाशित होता है तो उसमें भी जमीनी खेल के आरोप लगेंगे। यही कारण है कि आचार संहिता से पहले प्रारुप प्रकाशन की स्थिति संभव नजर नहीं आ रही है। वहीं अब शासन ने यह भी तय कर लिया कि 2035 की बजाय 2041 के मुताबिक इंदौर का मास्टर प्लान तैयार किया जाए। अभी पिछले दिनों भोपाल में प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने इंदौर के मास्टर प्लान और अन्य योजनाओं को लेकर समीक्षा बैठक बुलाई थी, जिसमें निगमायुक्त हर्षिका सिंह, सीईओ प्राधिकरण आरपी अहिरवार, संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश एसके मुद्गल, संयुक्त संचालक भोपाल सीके साधव और उपसचिव डॉ. सुभाशीष बेनर्जी मौजूद रहे।


    अग्निबाण ने ही इस बैठक के आधार पर ही यह खुलासा किया था कि अब इंदौर का मास्टर प्लान 2041 के मुताबिक तैयार होगा और अभी नगरीय विकास और आवास मंत्रालय ने इस समीक्षा बैठक का जो कार्रवाई विवरण जारी किया है उसमें भी यह स्पष्ट कहा गया कि अब 2035 के स्थान पर 2041 को लक्ष्य वर्ष रखते हुए योजना तैयार की जाए। इसके साथ ही यातायात मार्गों की स्टडी की जाए और भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक उसमें आवश्यक प्रावधान किए जाएं। धारा 4 के तहत इंदौर महानगर क्षेत्र के मुताबिक पुनर्गठन, सरकारी जमीनों की जानकारी एकत्रित करने और भविष्य में वेयर हाउसिंग, स्टोरेज की आवश्यकता बढऩे, क्योंकि ई-कॉमर्स में लगातार वृद्धि हो रही है और गैर प्रदूषणकारी औद्योगिक उपयोग की जमीनें चिन्हित करने, निगम के अलावा पीडब्ल्यूडी, आरआरडी सहित अन्य मार्गों का समावेश करने, प्राधिकरण, लोक निर्माण, एनएचआई के भी सभी प्रोजेक्टों को जोडऩे के साथ मेट्रो कॉरिडोर के दोनों तरफ 100 मीटर की दूरी तक तथा सुपर कॉरिडोर में दोनों तरफ 500 मीटर तक का क्षेत्र टीओडी यानी ट्रांसफर ओरियंटेड डवलपमेंट में प्रस्तावित किए जाने पर भी विचार होगा।

    उल्लेखनीय है कि जिस तरह टीडीआर पॉलिसी लाई जा रही है, उसी तरह मेट्रो जैसे प्रोजेक्टों के लिए टीओडी जैसी पॉलिसी को भी लागू करने पर शासन विचार कर रहा है, जिसका प्रावधान भविष्य के यानी 2041 के मास्टर प्लान में किया जाना है। दूसरी तरफ नगर तथा ग्राम निवेश में धारा 23 (क) के तहत कस्बा इंदौर की 8.79 एकड़ जमीन, जो कि वर्तमान में आमोद-प्रमोद के तहत रीजनल पार्क और मार्ग के रूप में मास्टर प्लान में चिन्हित है, उसे अब आवासीय एवं मार्ग किया जा रहा है। दरअसल इस भू-उपांतरण का कारण यह है कि सांघी परिवार और ट्रस्ट की इन जमीनों को 1985 में आवासीय कर दिया था। मगर बाद में जो 2021 का मास्टर प्लान आया उसमें इसे ग्रीन बेल्ट में डाल दिया, जिसके चलते पहले हाईकोर्ट में और फिर सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला गया और शासन के विरूद्ध फैसला आया, जिसके चलते अब यह भू-उपांतरण वर्तमान मास्टर प्लान 2021 में किया जा रहा है।

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