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इंदौर का भूजल स्तर बढ़ा

December 13, 2022

  • बारिश के पहले लगाए गए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और तालाब की चैनलों को जीवित करने का मिला फायदा
  • भूजल के डार्क झोन से बाहर होगा इंदौर

इंदौर, सुनील नावरे। बीत साल इंदौर पानी के मामले में केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के मान से डार्क झोन में आ गया था। इंदौर को पानी के मामले में अतिदोहित क्षेत्र माना गया, लेकिन नगर निगम ने शहरभर में एक लाख से ज्यादा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर इस संकट से काफी हद तक मुक्ति पा ली है। भूजल नापने के लिए प्रमुख स्थानों पर लगाए गए दस पीजोमीटर अब इंदौर के भूजल के पानी के मामले में सुकूनभरी रिपोर्ट दे रहे हैं। मीटरों की रिपोर्ट के अनुसार पहले शहर में 400 से 600 फीट नीचे जमीन में पानी था और अब शहर के अलग-अलग हिस्सों में 150 के मान से 350 फीट तक पानी है। कभी 127 प्रतिशत पानी दोहन इंदौर में होता था। अब आने वाले दिनों में 100 के आंकड़े के अंदर होगा।

केंद्रीय भूजल बोर्ड ने सालभर पहले इंदौर नगर निगम के अफसरों को अपनी रिपोर्ट भेजते हुए तर्क दिया था कि इंदौर पानी के मामले में डार्क झोन में आ गया है और चेन्नई और अन्य महानगरों के साथ-साथ डार्क झोन के लेवल 127वें नंबर पर है। इंदौर को पानी के मामले में अतिदोहित क्षेत्र मानकर इसके लिए कार्ययोजना बनाने को कहा गया था। इसी के चलते नगर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने तकनीकी सलाहकार नागरथ चेरिटेबल ट्रस्ट की मदद से बड़े पैमाने पर कार्य शुरू किए। इसके लिए निगम के कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता, जलशक्ति मिशन के रोहित बोयत और अन्य अधिकारियों ने अलग-अलग जिम्मेदारियां लेते हुए काम पूरा कराए। पूरे मामले से निपटने के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाकर प्रारंभिक दौर के कार्य शुरू किए गए और अब इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं।


भूजल की पूर्व और वर्तमान स्थिति
जिन स्थानों पर पीजोमीटर लगाए गए हैं, वहां की रिपोर्ट आना शुरू हो गई है। रिपोर्ट राहत और सुकूनभरी है, क्योंकि कई क्षेत्रों में भूजल का स्तर न केवल बढ़ा, बल्कि कई क्षेत्रों में 15 से 20 फीट पर भूजल आकलन होने की रिपोर्ट आई है। अनुराधा नगर में लगाए गए पीजोमीटर के आकलन के मान से 23 जुलाई 2022 को भूजल का स्तर 36 फीट के आसपास था और 11 नवंबर को रिपोर्ट के मुताबिक पीजोमीटर वाले स्थान के आसपास 12 फीट के आसपास भूजल स्तर बना है। वहीं सिलिकॉन सिटी क्षेत्र में 3 जुलाई 2022 को 150 फीट नीचे भूजल स्तर था, वहीं अब 42 फीट नीचे पानी होने का आकलन है। संगमनगर क्षेत्र में 2 जुलाई 22 को भूजल स्तर 80 फीट नीचे था, जो अब 20 फीट पर हो गया है। नारायणबाग क्षेत्र में 22 जुलाई 22 को भूजल का स्तर 26 फीट नीचे था, जो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के बाद 14 से 18 फीट के बीच पहुंच गया है

1 लाख से ज्यादा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए
नगर निगम ने सभी झोनल कार्यालयों के तहत अधिक से अधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का अभियान शुरू किया। इसके लिए कई झोनल अधिकारियों के साथ-साथ अलग से टीमें भी बनाई गईं, जो लोगों को सिस्टम लगाने के लिए प्रेरित कर रही थीं। बहुमंजिला भवनों के साथ-साथ औद्योगिक संस्थाओं, शिक्षण संस्थान, हॉस्पिटल, शासकीय कार्यालय, रहवासी टाउनशिप और व्यावसायिक क्षेत्रों में यह अभियान तेजी से चला और इसी के चलते एक लाख से ज्यादा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा दिए गए। सभी सिस्टम लगाने के बाद उनकी जीओ टैगिंग की गई।


इन झोनलों पर लगे सर्वाधिक सिस्टम
अप्रैल-मई में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम घरों से लेकर सरकारी कार्यालयों तक लगाने का अभियान शुरू किया गया था। बीएसएफ से लेकर कई अन्य संस्थाओं से मदद ली गई, जिसके चलते बड़े पैमाने पर सिस्टम लगाए गए। अधिकारियों के मुताबिक सर्वाधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम झोन 19 में स्कीम नंबर 94 के तहत 13986, झोन 13 बिलावली में 8226, झोन 14 हवा बंगला में 10372, झोन 8 विजयनगर में 9922, झोन 11 नेहरू स्टेडियम में 7943, झोन 7 स्कीम नंबर 54 में 6944 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए।

कहां-कहां लगे पीजोमीटर…
अधिकारियों ने सिस्टम लगाने का काम पूरा करने के बाद भूजल की निगरानी के लिए शहर के 10 स्थानों पर 20 लाख से ज्यादा की राशि खर्च कर अत्याधुनिक पीजोमीटर लगाए। इसके तहत 60 मीटर गहरा बोरवेल कर उसके ऊपर डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाया जाता है। यह उपकरण बिना भूजल के संपर्क में आए साउंड वेब के माध्मय से भूजल स्तर का आकलन करता है। यह सिस्टम सिलिकॉन सिटी, बिचौली मर्दाना, मूसाखेड़ी, संगमनगर, रेवती रेंज, नगर निगम मुख्यालय, अनुराधा नगर, लोकमान्य नगर, सैफीनगर और निपानिया में लगाए गए हैं।

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