इंदौर। एक तरफ जहां इंदौर में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और आसपास के सभी जिलों में भी पॉजिटिव मरीज अधिक संख्या में मिलने लगे, जिसके चलते बाहरी मरीजों का इंदौर में तांता लगा हुआ है। फलस्वरूप अब इंदौर के लोगों को ही आने वाले कुछ ही दिनों में इलाज के लिए बेड और आईसीयू नहीं उपलब्ध होंगे। इंदौर में चूंकि मेडिकल सुविधा पूरे प्रदेश में सबसे बेहतर है, लिहाजा वीआईपी से लेकर अन्य वर्ग जो खर्चा कर सकता है वह इलाज के लिए इंदौर ही आ रहा है। नतीजतन यहां के सभी प्रमुख अस्पताल कोरोना मरीजों से भर गए हैं और अब वे अपने बेड और आईसीयू बढ़ा रहे हैं।
अग्निबाण ने पूर्व में भी खुलासा किया था कि 40 प्रतिशत से ज्यादा इंदौर के अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों में बैड और आईसीयू बाहरी मरीजों से भरे पड़े हैं। यहां तक कि सरकार ने अरबिंदो और इंडेक्स जैसे निजी अस्पतालों से अनुबंध कर रखे हैं, वहां भी बाहरी मरीजों की संख्या अधिक है। अरबिन्दो में तो 66 प्रतिशत बाहरी मरीजों का इलाज हो रहा है। अभी सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल पिछले दिनों शुरू किया गया, वहां भी लगभग 80 कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनमें डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भी उपचाररत हैं। क्योंकि हॉस्पिटल तो शुरू कर दिया, लेकिन डॉक्टर और स्टाफ की जुगाड़ अलग से नहीं की गई। लिहाजा मौजूदा एमवाय और अन्य सरकारी अस्पतालों के स्टाफ से ही काम चलाना पड़ रहा है। वैसे तो सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में 500 से अधिक बेड की क्षमता है, लिहाजा आज से 30 बेड और आज से शुरू किए जा रहे हैं, जिसमें से कुछ आईसीयू भी रहेंगे। वहीं प्रशासन ने 29 निजी अस्पतालों में पहले 15 प्रतिशत, उसके बाद फिर 30 प्रतिशत बेड और आईसीयू कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित रखवाए थे, लेकिन अधिकांश प्रमुख अस्पतालों में ये बेड भर चुके हैं और जिन निजी अस्पतालों में खाली भी हैं, वहां मरीज इलाज नहीं कराना चाहते। ज्यादातार इंदौरी सक्षम मरीज और बाहर से आने वालों की पसंद चोइथराम, बॉम्बे हॉस्पिटल, मेदांता, सीएचएल या अरबिंदो जैसे अस्पताल हैं, जबकि कुछ अन्य निजी अस्पतालों में अभी भी पर्याप्त बैड और आईसीयू उपलब्ध हैं। यहां तक कि अब कई निजी अस्पताल खुद आगे होकर कोरोना मरीजों को भर्ती करना चाहते हैं, क्योंकि अभी दूसरे मरीज तो मिल ही नहीं रहे हैं, लिहाजा अस्पताल को चलाने, स्टाफ को सैलेरी देने से लेकर अन्य खर्चे कोरोना मरीजों से ही निकल सकते हैं। यही कारण है कि खजराना क्षेत्र में बन रहे एक निजी अस्पताल ने अपने 70 बैड उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव प्रशासन को दिया है, जिसमें 20 आईसीयू बैड रहेंगे। इसी तरह अन्य निजी अस्पताल भी आगे आ रहे हैं। प्रशासन की चिंता यह है कि बाहरी मरीजों का अगर इसी तरह तांता लगा रहा तो इंदौर के लोगों को ही इलाज के लिए बैड और आईसीयू उपलब्ध नहीं होंगे। दरअसल अभी कोरोना मध्यमवर्गी और उच्च तबके के लोगों को अधिक संक्रमित कर रहा है और यह तबका सरकारी की बजाय निजी अस्पतालों में ही इलाज करवाना चाहता है। वहीं मंत्री-विधायकों से लेकर प्रमुख नेता भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। वे भी अपना इलाज इंदौर में कराना चाहते हैं। अभी दो दिन पहले काबिना मंत्री विजय शाह पॉजिटिव हुए, उन्हें भी इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, तो इसी तरह पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा की पत्नी का भी इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है। आसपास के जिलों से लेकर छतरपुर, शिवपुरी, रीवा और अन्य दूर के जिलों से भी नेताओं और अन्य प्रभावशाली लोगों द्वारा अपने परिचितों, रिश्तेदारों और मित्रों को इलाज के लिए इंदौर भेजा जा रहा है, जिसके चलते आधे से ज्यादा बेड और आईसीयू बाहरी मरीजों से भर गए हैं। नहीं तो आज की तारीख में भी इंदौर में जो 5 हजार से अधिक कोरोना मरीज उपचाररत हैं और इनमें से जितने मरीजों को अस्पताल में भर्ती करवाने या आईसीयू की जरूरत है, उससे दो से ढाई गुना तक अधिक बेड उपलब्ध हैं। प्रशासन की परेशानी यह है कि किसी भी बाहरी मरीजों को रोका नहीं जा सकता। इलाज के लिए तो सभी को भर्ती करवाना ही पड़ेगा। उपचुनाव के चलते भी सभी क्षेत्रों से कोरोना मरीज इंदौर आ रहे हैं, जिनकी सिफारिश मंत्री, सांसद, विधायकों और अन्य पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा की जा रही है।
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