अब तक 853853 डोज लगे, 655783 को प्रथम और 198070 को द्वितीय डोज लगे
इंदौर। जिले में 18 से 44 तक के 18 लाख 2 हजार 732 लोगों को वैक्सीन (Vaccine) लगाने का लक्ष्य है, लेकिन वैक्सीन की कमी के कारण बीते 15 दिनों में मात्र 25020 यानी सिर्फ 1 प्रतिशत को ही यह वैक्सीन लग पाई है। 16 जनवरी से शुरू हुए वैक्सीन अभियान में अब तक पूरे जिले में 8 लाख 53 हजार 853 लोगों को ही वैक्सीन (Vaccine) लग सकी है।
जब वैक्सीन (Vaccine) उपलब्ध थी तब लगाने वाले नहीं मिल रहे थे, लेकिन अब लगाने वाले लाखों हैं तो वैक्सीन (Vaccine) नाममात्र की है। स्वास्थ्य विभाग (health department) द्वारा जारी की गई जानकारी के मुताबिक जिले में 28 लाख 7 हजार 558 लोगों को टीके लगाने का लक्ष्य है, जिनमें से अब तक 6 लाख 55 783 लोगों यानी 23 प्रतिशत को ही प्रथम डोज (first dose) लग सका है। वहीं दूसरा डोज (second dose) 198070 लोगों ने, यानी 30 प्रतिशत लोगों ने लगवाया है। जारी सूची के अनुसार हेल्थ केयर वर्कर को प्रथम डोज का लक्ष्य 53802 का था, लेकिन अभी तक 41874 को ही लगा है, जबकि द्वितीय डोज 32538 लोगों ने लगवाया है। 51163 फ्रंटलाइन वर्करों (Frontline workers) को प्रथम डोज लगाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक 44093 लोगों ने ही लगवाया है। वहीं द्वितीय डोज भी 26021 लोगों ने ही लगवाया है। 18 से 44 साल तक के 1801732 लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी तक 25020 लोगों को ही लगी है। 45 से 60 के मध्य के 704483 लोगों को प्रथम डोज लगााने का लक्ष्य था, लेकिन अब तक 314281 ने ही यह लगाया है। वहीं द्वितीय डोज सिर्फ 61060 लोगों को ही लग सका है। 60 साल से अधिक आयु के 301343 लोगों को प्रथम डोज लगाने लक्ष्य था, जिनमें से 230515 लोगों ने लगवाया है, जबकि द्वितीय डोज लगाने में इनकी संख्या काफी कम रही है। अब तक 78351 लोग ही लगवाने पहुंचे हैं।
सबसे ज्यादा 1 से 29 अप्रैल के मध्य लगे टीके
16 जनवरी से शुरू हुए पहले चरण में इंदौर जिले में 670 सत्रों में 71700 लोगों ने टीका लगवाया था। वहीं 1 मार्च से 31 मार्च तक कुल 2 लाख 39 हजार 715 लोगों ने, 1 से 29 अप्रैल तक 415670 लोगों ने टीके लगवाए थे, जबकि 1 से 15 मई तक कुल 1267774 लोगों ने टीके लगवाए हैं। 18 प्लस वालों के लिए जब से वैक्सीनेशन (Vaccination) शुरू हुआ है, तब से लगातार पोर्टल ठीक से काम नहीं कर रहा है और अधिकांश युवाओं को निराशा ही हाथ लग रही है।
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