रिपोर्ट लिखाने वाली बोली- पैसों के लिए तंग कर रहा था, खोटा काम नहीं किया
इंदौर। डाक्टर ने इलाज की फीस मांगी और विवाद हुआ तो युवती ने रेप की रिपोर्ट लिखा दी। मामला कोर्ट में गया तो फर्जी पीडि़ता बलात्कार की बात से मुकर गई और महज पैसों के लिए तंग करने का ही आरोप मढ़ा।
कोरोना के चलते पहले लॉकडाउन में डॉक्टर नागेंद्रसिंह बघेल (49 साल) निवासी बंगाली चौराहा के खिलाफ पीडि़ता ने बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया था। फरियादिया का कहना था कि उसका बायां हाथ सुन्न महसूस होने पर वह बहन के साथ 10 मई 2020 को रामा नर्सिंग होम में गई थी। वहां मौजूद डॉक्टर बघेल ने उसे बॉटल चढ़ा दी, जिसके बाद उसे नशा चढऩे लगा। इस दौरान उसकी बहन को उसके लिए खाना व दवाइयां लाने भेज दिया। जब पीडि़ता अवचेतन अवस्था में थी तो डॉक्टर ने उसकी जींस खोलकर गंदा काम किया। बहन के लौटने पर उसने सारा माजरा बताया तो थाने में रिपोर्ट लिखाई गई। मामला अदालत में चला तो आरोप लगाने वाली युवती पुलिस को दिए अपने बयान से ही मुकर गई। उसने बलात्कार की बात से साफ इनकार करते हुए कहा कि इलाज के बाद अगले दिन डॉक्टर उससे फोन पर फीस को लेकर विवाद करते हुए बदतमीजी कर रहा था। डॉक्टर ने उससे कोई जबरदस्ती नहीं की थी। पीडि़ता की बहन ने भी कोर्ट में डॉक्टर के खिलाफ बयान देने के बजाय पीडि़ता की हां में हां मिलाई और कहा कि फोन लगाकर परेशान करने की रिपोर्ट थाने में लिखाई गई थी। ऐसे में बलात्कार का पूरा मामला फीस विवाद के रूप में तब्दील हो गया। जज चारूलता दांगी ने फरियादी व उसकी बहन के ही बलात्कार की पुलिस थाने में रिपोर्ट नहीं लिखाने के बयानों के चलते डॉक्टर बघेल को बरी कर दिया है। मालूम रहे कि दो माह पहले भी एक डॉक्टर हेमंत चोपड़ा बलात्कार के मामले में बरी हुए थे। उन पर भी पीडि़ता रेप का संगीन इल्जाम लगाकर पलट गई थी।
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