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    विजयवर्गीय के प्रदेश की राजनीति में लौटने से इंदौर को मिलेगी आवाज

  • November 01, 2023

    • प्रदेश की मुखर आवाज के संगठन में जाने से बेलगाम हो गई थी इंदौर की सत्ता

    इंदौर (Indore)। पिछले कई सालों तक इंदौर ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश ने अधिकारियों की तानशाही को जमकर सहा। हर क्षेत्र में नेता और विधायक तो थे, लेकिन अधिकारी इतने बर्बर हो गए थे कि जो उन्होंने कह दिया वो कानून बन गया। अधिकारियों की इस तानाशाही के खिलाफ न कोई नेता न कोई विधायक आवाज उठा पाया। इंदौर शहर में कैलाश विजयवर्गीय के रूप में एक ऐसा व्यक्तित्व था जो अधिकारी तो दूर नेताओं के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत रखता था, लेकिन विजयवर्गी के मध्यप्रदेश की सत्ता से संगठन में जाने और लगातार व्यस्तता के चलते इंदौ की आवाज लगभग लुप्त हो गई थी। अब जब भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें इंदौर के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतारा है तो इस बात की राहत है कि अब इंदौर को अन्याय और जुर्म के खिलाफ बोलने वाली आवाज मिल जाएगी।

    विजयवर्गीय ने जब सत्ता में पदार्पण किया तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। ऐसे में विपक्ष की भूमिका में विजयवर्गीय ने सत्ता के जुल्म के खिलाफ लगातार आवाज उठाकर जनता को संरक्षण देने का काम किया। इंदौर में अधिकारी उनके नाम से घबराते थे। एक बार तो विजयवर्गीय ने जनता पर ज्यादती करने वाले पुलिस अफसर पर जूता तक उठा लिया था। तब से विजयवर्गीय का आक्रामक छवि स्थापित हो गई। विजयवर्गीय इंदौर ही नहीं, बल्कि प्रदेश की राजनीति के सिरमौर बन गए और जब भाजपा की सरकार आई तो तात्कालिक मुख्यमंत्री उमा भारती ने उन्हें सर्वाधिक महत्वपूर्ण विभागों का मंत्री बनाया। इसके बाद लगतार मंत्री बनकर सत्ता में रहे विजयवर्गीय जनता की आवाज बनकर मुखर रहे। उनके रहते इंदौर शहर में कोई भी अधिकारी मनमानी नहीं कर पाया और विकास की हर जरूरत पूरी होती रही, इसी दौरान पार्टी ने उनकी कार्यक्षमता को देखकर उन्हें हरियाणा का चुाव प्रभारी बनाकर भिजवाया । वहां सत्ता परिवर्तन की सफलता पर पार्टी ने विजयवर्गीय के सत्ता से निकलकर संगठन की जिम्मेदारी सौंप दी और उन्हें पार्टी के वरिष्ठ महासचिव के पद पर बैठा दिया। इसके बाद वे पश्चिम बंगाल तक अपना जौहर दिखाते रहे। मध्यप्रदेश में जब केन्द्रीय नेतृत्व ने चुनाव का काम संभाला तो उन्होंने प्रदेशभर में देश के वरिष्ठ नेताओं की फौज चुनाव मैदान में उतार दी ऐसे में विजयवर्गीय का इंदौर लौटना स्वाभाविक था। शहर के लोगों के लिए यह सबसे बड़े संतोष की बात है कि विजयवर्गीय के संगठन से सत्ता में लौटने पर इस शहर को अन्याय के खिलाफ उठने वाली आवाज फिर हांसिल हो जाएगी चूंकि विजयवर्गीय पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं इसलिए मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें विशिष्ट पद भी मिलेगा ऐसे में विकास की संभावनाएं भी तय है।

    विजयवर्गीय की पूरे मालवा-निमाड़ अंचल में मांग
    दिन में हेलिकाप्टर से इलाकों में पहुंचते हैं और शाम को अपने क्षेत्र में जनसंपर्क के लिए जा पहुंचते हैं
    भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीयकी लोकप्रियता के चलते पूरे मालवा निमाड़ अंचल में प्रचार के लिए मांग की जा रही है। इंदौर में स्वयं प्रत्याशी होने के चलते दोहरी जिम्मेदारी निभाते विजयवर्गीय दिन में अंचल के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचार के लिए जाते हैं और शाम को लौटर अपने क्षेत्र में पहुंच जाते हैं और देर रात तक जनसंपर्क करते रहते हैं। 23 जनवरी से ही विजयवर्गीय के दौरे शुरू हो गए। उन्होंने एक ही दिन में अशोक नगर के मुंगावली जिले में भाजपा प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के साथ ही जहां सभा ली, वहीं दोपहर में रतलाम के आलोट जिले में जाकर प्रचार किया। इसके बाद शाम छह बजे इंदौर लौटकर अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हो गए। 26 अक्टूबर को भी विजयवर्गीय ने इंदौर से सतना, सतना से सीधी, सीधी से सिंगरौली तक का दौरा किया। अगले दिन उन्होंने राजगढ़ से लेकर उज्जैन के सारंगपुर, घटिया, और तराना चुनावी क्षेत्र में पहुंचकर प्रचार किया। 28 अक्टूबर को अमित शाह के जबलपुर दौरे के चलते वे इंदौर से जबलपुर जा पहुंचे और वहां से मझोली और सिहोरा विधानसभा में जाकर जनसंपर्क किया। अपने क्षेत्र में प्रचार के साथ ही प्रदेश दौरे के चलते विजयवर्गीय 24 घंटे व्यस्त नजर आ रहे हैं। यहां तक कि वे रात की नींद भी नहीं ले पा रहे हैं। इसके बावजूद मालवा निमाड़ के अंचलों के प्रत्याशी लगातार प्रचार के लिए उनकी मांग कर रहे हैं।

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