इंदौर को भिक्षुक मुक्त करने की पहल
इंदौर कमलेश्वर सिंह सिसोदिया। प्रदेश के सबसे बड़े महानगर इंदौर में एक बार फिर भिक्षुकों के पुनर्वास की कवायद तेज हो गई है। चौराहों व शहर के अन्य चयनित स्थानों पर भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों (children) के लिए पांच विभागों की संयुक्त टीम रोज जाएगी। जागरूकता के साथ इन्हें बेहतर शेल्टर उपलब्ध कराए जाएंगे।
इंदौर (Indore) के चौराहों पर भिक्षा मांगने वालों में ज्यादातर संख्या बच्चों (children) की होती है। इसके लिए प्रशासन ने अब नया रोडमैप तैयार कर लिया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के नेतृत्व में श्रम, किशोर, पुलिस, चाइल्ड लाइन (child line), सामाजिक न्याय विभाग और समाजसेवी संस्थाओं के वॉलिंटियर्स संयुक्त रूप से इंदौर शहर में भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को खोजने जाएंगे और इन्हें बाल विकास एवं बाल कल्याण समिति उचित शेल्टर उपलब्ध कराएगी। भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा से जोडऩे के साथ ही जीविकोपार्जन के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग भी भी जाना है। कुल मिलाकर बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास के प्रयास तो बेहतर दिख रहे हैं। अब इन्हें अमलीजामा पहनाने में कई कठिनाइयां भी सामने आएंगी। हालांकि शुरुआत में बाल भिक्षुकों को पकडऩा शुरू किया जा चुका है।
भिक्षुकमुक्त शहर के लिए हरसंभव प्रयास होंगे
शहर के प्रमुख चौराहों पर विभागों की संयुक्त टीम जाएगी और भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को समझाइश के साथ उनके बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा और पुनर्वास के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इंदौर शहर को भिक्षुकमुक्त बनाने के हरसंभव प्रयास को क्रियान्वित किया जाएगा।
वीपीएस राठौड़, सहा. संचालक, महिला एवं बाल विकास विभाग
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