इस बार गेर को अनुशासित और क्रमबद्ध निकालने का दावा
इंदौर। रंगपंचमी (Rang Punchmi) पर निकलने वाली गेरों को लेकर इंदौरी आसमान एक बार फिर रंगीन होने वाला है। ऐतिहासिक एमजी रोड (MG Road) पर निकलने वाली ये गैरें इस पर क्रमबद्ध और अनुशासन से निकालने का दावा किया जा राह है, ताकि इसे यूनेस्को की धरोहर में शामिल किया जा सके। हालांकि इस बार यूनेस्को की टीम इंदौर (Indore) नहीं आ रही है, लेकिन अगली बार यह टीम (Team) आएगी और गेर को अपने मानकों पर परखेगी। फिलहाल इस साल फिर गेर की तैयारियां शुरू हो गई हैं और इंदौरी आसामन को सतरंगी करने की पूरी तैयारी हो गई है। राजबाड़ा के आसपास का क्षेत्र, जिसका जीर्णोद्धार किया गया था, उसे पॉलीथिन की बड़ी-बड़ी शीट से ढंका जा रहा है, ताकि गेरों का उडऩे वाला रंग-गुलाल इसकी सुंदरता को प्रभावित न कर दें।
इस बार प्रशासन गेर को अनुशासित ढंग से निकालने का दावा कर रहा है। हालांकि गेर में हुर्रियारों और मस्तीखोरों की टोली किसी की मानती नहीं है, फिर भी प्रशासन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जबर्दस्ती रंग लगाना या अश्लील हरकत करने के मामले में सख्ती की जाएगी। 30 मार्च शनिवार को निकलने वाली गेर की तैयारियां गेर आयोजक कर रहे हैं। इनमें हिन्द रक्षक संगठन की फाग यात्रा, टोरी कार्नर की गेर संगम कार्नर की समरसता गेर, रसिया गेर और एक गेर नगर की भी रहेगी जो पिछले साल से निकाली जा रही है। सभी का क्रम निर्धारित कर दिया गया और इस बारे में प्रशासन ने गेर आयोजकों को समझा भी दिया है। इंदौर में यूं भी होली से ज्यादा चमक रंगपंचमी पर रहती है, इसलिए भी आसपास के लोग बड़ी संख्या में इंदौर पहुंचते हैं और गेर में शामिल होते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव इस बार इंदौर में ही रंगपंचमी मनाएंगे। अभी उनका अधिकृत कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है, लेकिन वे रंगपंचमी पर गेरों में शामिल होंगे और लोगों पर रंग उड़ाते हुए चलेंगे। इसके लिए भी प्रशासन तैयरियां कर रहा हैं। हालांकि अभी तय नहीं हुआ हैकि वे गेर में साथ-साथ चलेंगे या फिर एक मंच से उनका स्वागत करेंगे।
रंग से बदरंग न हो जाए, इसलिए ढांक दिए राजबाड़ा, गोपाल मंदिर से लेकर सारे प्रतिष्ठान…
70 साल पहले बैलगाड़ी पर पहली गेर निकाली गई थी। इसमें ड्रम भरकर बेलगाड़ी पर रखे गए थे और उसे लोगों के ऊपर उड़ाया गया था, लेकिन बदलते दौरमें अब गेरों मे आधुनिकता शामिल हो गई है, लेकिन अब राजबाड़ा पर रंगपंचमी की गैर में शामिल होने के लिए लाखों की तादाद में शहरवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग शामिल होते हैं। रंग से बदरंग न हो जाए, एतिहासिक राजबाड़ा और गोपाल मंदिर के अलावा क्षेत्रीय प्रतिष्ठान…. इसलिए एहतियात के तौर पर इन्हें ढंक दिया जाता है।
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