इंदौर। पिछले दिनों इंदौर लगातार स्वच्छता में पांचवीं बार नम्बर वन आया, तो अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में भी इंदौर जिले की स्थिति सबसे बेहतर है। दिव्यांगजनों के पुनर्वास में भी इंदौर जिले ने बाजी मारी और पूरे देश में नम्बर वन का राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किया। भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्राल ने कल ही इंदौर को दिव्यांगजन सशक्तिकरण के राष्ट्रीय पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया और इस आशय का प्रमाण-पत्र भी इंदौर को सौंपा। नि:संदेह इंदौर के लिए यह एक और सम्मानजनक उपलब्धि है।
दिव्यांगजनों के पुनर्वास में इंदौर ने सबसे अच्छा काम किया, जिसके चलते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सांसद शंकर लालवानी को भी सम्मानित किया और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र कुमार खटिक ने इस आशय का प्रमाण-पत्र भी सौंपा। दिव्यांगता प्रमाणित करने के लिए इंदौर में मेडिकल बोर्ड भी बनाया गया और कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा लगातार दिव्यांगजनों को पुनर्वास सेवाएं पूरे जिले में प्रदान की गई। यहां तक कि सार्वजनिक शौचालयों से लेकर सरकारी दफ्तरों और अन्य प्रमुख जगह उनका प्रवेश आसान बनाने के लिए रैम्प के भी निर्माण किए गए और उन्हें सामान्य लोगों की तरह रोजगार सहित अन्य अवसर भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। 21 तरह की दिव्यांगता प्रमाणित करने के लिए जिला स्तर पर मेडिकल बोर्ड तो बनाया ही है, वहीं दृष्टिबाधित छात्रों के लिए एनी स्मार्ट क्लास भी शुरू की गई। 10 हजार से ज्यादा यूआईजी कार्ड और 6 हजार से ज्यादा मेडिकल सर्टिफिकेट कोरोना काल में ही बनाए गए और 1700 दिव्यांगजनों को सहायक उपकरण और उनकी मदद के लिए विभिन्न तरह के यंत्र उपलब्ध करवाए गए। दिव्यांग स्कूलों की स्थापना के साथ दो आवासीय छात्रावास भी जिले में तैयार किए गए। केन्द्र सरकार द्वारा दिव्यांगजनों के लिए जितनी भी योजनाएं घोषित की गई उन सभी में इंदौर जिला आगे रहा। कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा लगातार दिव्यांगों के पुनर्वास की इन तमाम योजनाओं की मॉनिटरिंग भी करते हैं। बौद्धिक दिव्यांगता के लिए लगभग 3 हजार लोगों को मासिक सहायता भी दी जा रही है और सुगम्य भारत अभियान के तहत 2200 से ज्यादा निजी, सरकारी परिसरों, बैंकों को बाधा मुक्त बनाया गया है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved