इंदौर। मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 (Madhya Pradesh Drinking Water Preservation Act 1986) तथा संशोधन अधिनियम 2002 (अधिनियम) में निहित प्रावधानों के तहत कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी आशीष सिंह (Collector Ashish singh) ने इन्दौर जिले के शहरी एवं ग्रामीण सम्पूर्ण क्षेत्रों को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है। जिले में निरन्तर भू-जल की गिरावट को दृष्टिगत रखते हुए अधिनियम की धारा 6(1) के अन्तर्गत सम्पूर्ण जिले में अशासकीय व निजी नलकूप खनन करने पर 18 मार्च 2024 से 30 जून 2024 तक प्रतिबंध लगाया गया है।
संबंधित राजस्व, पुलिस एवं नगर निगम के अधिकारियों को ऐसी बोरिंग मशीन जो अवैध रूप से जिले में प्रतिबंधित स्थानों पर प्रवेश करेगी अथवा नलकूप खनन/बोरिंग का प्रयास करेगी उक्त मशीनों को जप्त कर संबंधित पुलिस थाना क्षेत्र में एफ.आई.आर दर्ज कराने का अधिकार होगा। समस्त अपर कलेक्टरों को उनके क्षेत्रान्तर्गत अपरिहार्य प्रकरणों के लिए व अन्य प्रयोजनों हेतु उचित जांच के पश्चात अनुज्ञा देने हेतु अधिकृत किया गया है। इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर अधिनियम की धारा-3 या धारा-4 के उपबंध का उल्लंघन करने पर 2 हजार रूपये के जुर्माने तथा दो वर्ष तक के कारावास या दोनों से दण्डित करने का प्रावधान है। शासकीय योजनाओं के अन्तर्गत किये जाने वाले नलकूप उत्खनन पर यह आदेश लागू नहीं होगा तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कार्य योजनान्तर्गत नलकूप खनन का कार्य लोकसभा निर्वाचन 2024 की लागू आचार संहिता का पालन किये जाने की शर्त पर कार्य कराया जा सकेगा, इस हेतु उपरोक्तानुसार अनुज्ञा प्राप्त किया जाना आवश्यक नहीं होगा। नवीन खनित निजी नलकूप एवं अन्य विद्यमान निजी जल स्त्रोतों की आवश्यकता होने पर सार्वजनिक पेयजल व्यवस्था हेतु अधिनियम की धारा-4 के अन्तर्गत अधिग्रहण किया जा सकेगा।
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