इंदौर। घर मां के नाम, लेकिन बेटे का दुव्र्यवहार सहती मां दु:खी होकर कडक़ड़ाती ठंड में वन स्टॉप सेंटर पर आश्रय मांगने आई। आसरा तो मिला ही, साथ ही बेटे को बुलाकर समझाइश देकर महिला को न केवल घर भेजा गया, बल्कि कमाऊ बेटी को भी सहारा देने की हिदायत दी गई।
कडक़ड़ाती ठंड में रात 12 बजे वन स्टॉप सेंटर पर प्रौढ़ महिला हिमानी आश्रय मांगने आई। उसने बताया कि छोटे बेटे को पैरालिसिस हो गया है। पति बीमार रहते हैं और उनकी पेंशन से घर चलता है, लेकिन बड़ा बेटा लॉकडाउन के बाद से कोई काम नहीं कर रहा और घर पर ही रहता है। बात-बात पर गुस्सा करते हुए गाली-गलौज करने के साथ मुझ पर हाथ भी उठाता है। अगर वह घर में रहेगा तो मैं नहीं रह पाऊंगी। हिमानी ने पहली बार तो बेटे से मिलने से भी इनकार कर दिया। बाद में उसे परामर्श के लिए बुलाकर हिदायत दी गई कि मां से अपशब्द कहना या हाथ उठाना अपराध है। घर मां के नाम से है। अगर दुव्र्यवहार करोगे तो तुम्हें घर छोडऩा होगा। बेटे को 15 दिन की मोहलत देकर मां को समझाया गया कि अगर वह अभद्र व्यवहार करे तो उसे घर से निकाल देना। इस पर मां हिमानी राजी हुई और बेटे के साथ वापस अपने घर जाने के लिए सहमत हुई।
गुजरात की कंपनी में ऑफिसर है बेटी
हिमानी की एक बेटी गुजरात स्थित निजी कंपनी में बहुत बड़े पद पर ऑफिसर है। पति रिटायर्ड अधिकारी हैं, पर भगवान की दी हुई समस्या के आगे सब परेशान हैं। उनकी बेटी से संपर्क कर सारी बात बताई कि उनकी मां वन स्टॉप सेंटर में सुरक्षित है। तब उनकी बेटी ने बताया कि मां की हॉल में ही एंजियोप्लास्टी हुई है और उनको दिल का दौरा पड़ा था। अभी उनकी एंजियोग्राफी भी करवाना है। वन स्टॉप सेंटर से सारी व्यवस्था करवाई गई। हिमानी के बड़े बेटे से संपर्क कर उससे बात की गई तो उसका कहना था कि भाई की पूरी देखभाल मैं ही करता हूं। मां मुझे भी भला-बुरा कहती रहती है तो मैं भी परेशान हो जाता हूं। मुझसे उसकी देखभाल संभव नहीं है।
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