इंदौर। 6 साल जेल की सजा भुगतने के बावजूद भूमाफिया-कालोनाइजर अरविन्द बंजारी ने पीडि़तों को भूखंड नहीं दिए। 150 एकड़ से अधिक जमीनों पर उसने अवैध कॉलोनियां काट दी और सैंकड़ों को ठगा। किसानों को भी चूना लगा दिया। कल जनसुवाई में फिर ग्रीन लैंड शेल्टर्स से जुड़ी कॉलोनी ग्रीन लाइव सिटी के पीडि़तों ने अफसरों के सामने गुहार लगाई कि उन्हें न्याय दिलवाया जाए। वे सालों से भटक रहे हैं। इसी तरह वीर सावरकर नवआनंद संस्था के पीडि़त फिर से जनसुनवाई में पहुंचे और सहकारिता विभाग के भ्रष्ट अफसरों पर जमकर भड़ास भी निकाली।
अपर कलेक्टर गौरव बैनल ने बताया कि वीर सावरकर नव आनंद की शिकायत फिर से मिली है और सहकारिता विभाग को निर्देश भी दिए गए हैं कि वे पीडि़तों की समस्या का निराकरण करवाए। इसी तरह प्रिंसेस इस्टेट से जुड़े जमीनी जादूगर अरुण डागरिया व अन्य के खिलाफ भी जनसुनवाई में शिकायतें दर्ज करवाने भूखंड पीडि़त पहुंचे। उन्होंने सैटेलाइट वैली-एनक्लेव के मामले में शिकायत की कि 11 साल पहले भूखंड लिए थे और विकास शुल्क भी जमा किया। अब दो गुना से अधिक विकास शुल्क मांगा जा रहा है, तो बिजली ग्रीड के नाम पर भी कालोनाइजर द्वारा अवैध वसूली की जा रही है और मॉडगेज यानी बंधक के प्लॉट भी बेच डाली।
दूसरी तरफ ग्रीन लाइफ सिटी के पीडि़तों ने भी खूब भड़ास निकाली। दरअसल इसके कालोनाइजर ग्रीन लैंड शेल्टर्स के अरविन्द बंजारी पर आरोप है कि उसने कई कॉलोनियां काटकर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी तो की ही, साथ ही किसानों को भी चूना लगा दिया। सिमरोल क्षेत्र में ही मेमदी, चिकली, शिव नगर, हरडाखेड़ा, लोहार पिपलिया सहित अन्य गांवों की जमीनों पर ये कॉलोनियां काटी और किसानों को भी अंधेरे में रख भूखंड बेच डाले और विकास अनुमति भी नहीं ली। पिछले साल जनसुनवाई में बंजारी खुद कुछ पीडि़तों को लेकर पहुंचा भी था और उसने तत्कालीन कलेक्टर के साथ भी हुज्जत शुरू कर दी और उसका कहना था कि 6 साल में रहने और विकास अनुमति ना मिलने के कारण वह पीडि़तों को भूखंड नहीं दे सका। ग्रीन लाइफ, ग्रीन व्यू और ग्रीन लाइफ सिटी हिल सहित आधा दर्जन कॉलोनियों के पीडि़त अभी भी परेशान हो रहे हैं। हालांकि तत्कालीन अपर कलेक्टर ने उसे जमकर फटकार भी लगाई थी और अभी फिर प्रशासन उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने जा रहा है।
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