इंदौर। कोरोना काल (Corona Time) में मानवीय संवेदनाएं तार-तार हो रही हैं। असामाजिक लोग जहां नकली इंजेक्शन तक बेचकर मोटी कमाई कर रहे हैं, वहीं अस्पताल भी पीछे नहीं है और वे भी मनमाना इलाज कर मरीजों (Patients) के परिजनों को लाखों का बिल थमा रहे हैं। एक ऐसे ही मामले में अपने गहने बेचकर पति का इलाज करा रही महिला के पति की जब मृत्यु हुई तो अस्पताल प्रबंधन (Hospital Administration)ने 4 लाख रुपए का बिल (Bill) और थमाकर शव देने से मना कर दिया।
एमआर 10 ब्रिज (MR 10 Bridge)के पास सुंदर नगर में रहने वाले नरेश पिता स्व. नारायणसिंह कुशवाह को पिछले दिनों कोरोना के कारण तबीयत खराब हुई थी। वे मूल रूप से सतना जिले के चित्रकूट के रहने वाले थे। उस समय अस्पतालों (Hospitals)में जगह नहीं मिल रही थी, फिर भी उनकी पत्नी ने किसी की मदद से 6 अप्रैल को एप्पल हास्पिटल (Apple Hospital)में उन्हें भर्ती कराया और पति का इलाज शुरू कराया। चूंकि नरेश छोटा-मोटा काम करता था और उसके पास पैसों की व्यवस्था भी नहीं थी तो उसकी पत्नी ने अपने जेवर (Jewellery) 3 लाख रुपए में बेच दिए और राशि अस्पताल में जमा करवाई।
भाजपा नेता सज्जनसिंह भिलवारे ने बताया कि इस दौरान साढ़े तीन लाख की दवाई भी उन्होंने अस्पताल को लाकर दी, लेकिन उनके पति को नहीं बचाया जा सका। 29 अप्रैल को फिर अस्पताल प्रबंधन ने 4 लाख का इस्टीमेट (Estimate) बनाकर दिया और पैसा जमा करने के लिए कहा। पत्नी रुपयों की व्यवस्था कर ही रही थी कि कल सुबह नरेश की मृत्यु हो गई।
इस पर अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि पहले बकाया जमा करो, उसके बाद ही शव दिया जाएगा। इसके बाद महिला ने भिलवारे से संपर्क किया और भिलवारे ने विधायक आकाश विजयवर्गीय से बात कर कहा कि महिला अब रूपए नहीं दे सकती, इसलिए वे मदद करें। विजयवर्गीय ने इस मामले में एप्पल हास्पिटल प्रबंधन से बात की और थोड़ी ही देर बाद कहा कि परिवार से कहो कि शव लेकर चले जाएं, मेरी अस्पताल प्रबंधन से बात हो गई है
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