इंदौर। पिछले कई महीनों से जेल (Jail) में बंद कोर्ट के फर्जी आदेश से बने आईएएस अवार्डी संतोष वर्मा (IAS Awardee Santosh Verma) को सेशन कोर्ट के बाद अब हाईकोर्ट (High Court) से भी जमानत नहीं मिल सकी। कल हाईकोर्ट (High Court) ने तीन पेज के फैसले में जमानत याचिका खारिज (petition dismissed) करते हुए इसे गंभीर प्रकृति का अपराध बताया। एमजी रोड पुलिस थाने (police station) में दर्ज वर्मा के खिलाफ एफआईआर की जांच चल रही है और पुलिस ने अभी चालान पेश नहीं किया है। नतीजतन फिलहाल तो वर्मा को जेल में ही रहना पड़ेगा। उसकी व्हाट्सएप चैट (whatsapp chat) और अन्य चौंकाने वाली जानकारी पिछले दिनों पुलिस जांच में उजागर भी हुई। उल्लेखनीय है कि सीबीआई और व्यापमं के विशेष न्यायाधीश के फर्जी हस्ताक्षर से खुद को दोषमुक्त बताने वाले बोगस दस्तावेज तैयार किए और डीपीसी में उनके जरिए पदोन्नति हासिल कर आईएएस अवार्ड प्राप्त कर लिया। इंदौर की एक महिला ने जब उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखाई तब पुलिस जांच के बाद सारा गोरखधंधा उजागर हुआ।
नगरीय प्रशासन विभाग भोपाल (Urban Administration Department Bhopal) में पदस्थ रहे फर्जी आईएएस (IAS) संतोष वर्मा को कुछ समय पूर्व गिरफ्तार किया था। अभी 27 जून को एमजी रोड पुलिस (police) ने वर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के प्रकरण दर्ज किए। दरअसल, वर्मा के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली एक युवती हर्षिता ने लसूडिय़ा थाने में उसके खिलाफ मारपीट की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी और उसकी शिकायत के आधार पर ही फर्जी आईएएस (fake ias) का खुलासा हुआ। दरअसल, वर्मा ने फर्जी रिपोर्ट पेश कर खुद को दोषमुक्त बताते हुए आईएएस कैडर हासिल कर लिया था। पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तारी (arrest) करने के बाद शासन ने भी उसे निलंबित कर दिया। एमजी रोड पुलिस ने वर्मा के मोबाइल से कई प्रमुख लोगों से कई व्हाट्सएप चैटिंग और बातचीत के रिकॉर्ड भी हासिल किए, जिसमें न्यायालय से जुड़े प्रमुख लोगों के साथ-साथ प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से हुई बातचीत भी शामिल है, जिसकी जांच चंडीगढ़ स्थित फॉरेंसिक लैब से करवाई जा रही है। दरअसल, राज्य प्रशासनिक सेवा से जब भारतीय प्रशासनिक सेवा में जब पदोन्नति की जाती है, तब अगर मामूली अपराध हो तो भी आईएएस अवार्ड नहीं मिलकता। जबकि वर्मा के खिलाफ दो प्रकरण लम्बित थे और बाद में उसने फर्जी आदेश बनाकर खुद को दोषमुक्त बताते हुए डीपीसी के सामने इस फर्जी आदेश के जरिए आईएएस अवार्ड हासिल कर लिया। बाद में जिस विशेष न्यायाधीश के फर्जी साइन से यह डीपीसी तैयार हुई, उन्हीं की रिपोर्ट पर एमजी रोड पुलिस ने वर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी की जांच की और उसे गिरफ्तार भी कर लिया। पिछले दिनों सेशल कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि अभी कई खुलासे बाकी हैं। वहीं कल इंदौर हाईकोर्ट ने भी संतोष वर्मा की याचिका खारिज कर दी। न्यायाधीश सत्येन्द्र कुमार सिंह ने तीन पेज का यह आदेश भी जारी किया। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि हाईकोर्ट ने संतोष वर्मा के अपराध को गंभीर प्रवृत्ति का माना है और चूंकि अभी कई महत्वपूर्ण खुलासे होना है और पुलिस की जांच भी चल रही है, लिहाजा जमानत नहीं दी जा सकती।
चार शादियां की, कई लड़कियों को फंसाया भी
संतोष वर्मा ने जहां फर्जी दस्तावेजों से आईएएस अवॉर्ड हासिल किया, वहीं कई महिलाओं को अपने जाल में फंसाया, जिसमें उसकी एक नौकरानी भी शामिल है। किसी भी युवती से उसने शादी नहीं की और सभी को अपने अफसरी के रसूख के चक्कर में फंसाया और उसकी करतूत का भांडा भी इसी के चलते फूटा। जिस जिले में उसकी पुष्टिंग रहती वहां उसका किसी ना किसी महिला से रिश्ता जुड़ जाता। रीवा में सांख्यिकी अधिकारी के पद पर रहते हुए नौकरानी के साथ उसका इश्क परवान चढ़ा। वहीं हरदा पोस्टिंग के दौरान भी एक युवती को अपने चक्कर में ले लिया और जब धार में पोष्टिंग हुई तो इंदौर निवासी एक एलआईसी एजेंट युवती के साथ दिखाने की शादी की और बाद में उसे साथ रखने से इनकार कर दिया। फिर इसी युवती ने लसूडिय़ा थाने में शिकायत दर्ज करवाई, उसके बाद संतोष वर्मा के फर्जी आईएएस बनने की कहानी का खुलासा हुआ।
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