इंदौर। शहर में पहली बार ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर (Brilliant Convention Center) की बजाय निगम के खुद के हॉल में सम्मेलन आयोजित हो रहा है। विधानसभा की तरह यहां भी पास सिस्टम (Systm) लागू किया गया है। एक पार्षद को अपने साथ सिर्फ दो लोगों को ही लाने की अनुमति दी गई है। निगम परिषद का पहला सम्मेलन नगर निगम में नव निर्मित भवन में आयोजित हो रहा है। निगम में बने नए परिषद हॉल में आयोजित सम्मेलन में साउंड सिस्टम (Sound System) ठीक से काम नहीं कर रहा है। करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए हाल में पहले ही परिषद सम्मेलन में साउंड सिस्टम फेल हो गया। सिस्टम फेल होने से नेता प्रतिपक्ष को हाथ में माइक लेकर बोलना पड़ा। वहीं महापौर को भी सिस्टम खराब होने से दिक्कत हुई, अधिकतर लोग उनकी बात नहीं सुन पाए।
नए भवन में सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) का उद्बोधन हुआ। कांग्रेस ने सुमित्रा महाजन की जगह अटल जी का नाम रखने पर सवाल खड़ा किया था। जिस पर सुमित्रा महाजन ने कहा कि मैं चाहती थी की कोई सवाल यहां पर खड़ा हो, पर एक प्रश्न उठ गया। लेकिन कोई बात नहीं। मुझे पूरे हिंदुस्तान से सम्मान मिला है। मेरे सम्मान में कोई ठोस नहीं पहुंचा सकता है। किसी की हिम्मत भी नहीं है। हिम्मत से ज्यादा सबका प्रेम है। सदन का उद्घाटन था तब महापौर ने फोन किया था की ताई ऐसा-ऐसा बन गया है और आपके नाम का प्रस्ताव है। मैं थोड़ी-थोड़ी गुस्सा होती हुं। जब प्रस्ताव हुआ था, तब भी उस समय के पार्षद मुझे बताने के लिए आए थे। उन पर भी मैं गुस्सा हुई थी। अरे मुझसे पूछते तो सही अभी मैं जिंदा हूं, अभी हूं मैं, क्या जरूरत मेरे नाम का प्रस्ताव करने की। जब बनेगा तब देखेंगे। मैंने यही कहा उस समय। फिर महापौर जी ने मुझे कहा की आपके नाम का प्रस्ताव है, लेकिन जो तब बोला था वह मैं आपको भी बोल रही हूं कि यह मेरा सौभाग्य कि मैं जिंदा हूं। अभी मैं हूं। हो सकता है मुझसे अभी बहुत काम अच्छे होना हैं। क्योंकि आज भी मैं सामाजिक रूप से, साहित्यिक रूप से काम कर रही हूं।
सुमित्रा महाजन ने कहा कि चिंटू बेटा मैं केवल जानकारी के लिए बता रही हुं। मैंने महापौर जी को तुरंत कहा की ऐसा काम मत करो, अभी मैं हुं। मैं आऊंगी आपसे मिलूंगी। अभी क्यों मेरा नाम देते हो। हां मेरे जाने के बाद मेरे काम याद करोगे, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। चलो यह विषय समाप्त।
महाजन भावुक होकर बोली की मैं महिला वर्ग को बताना चाहूंगी की पार्टी ने मुझे महिला है यह देखकर आगे नहीं बढ़ाया गया है। मेरा काम देखकर आगे बढ़ाया, की यह कुछ कर सकती है। उसमें जज्बा है। मैंने कहा कि नहीं..नहीं मेरे से नहीं होगा, मुझे करने दो जो मैं कर रही हुं। तब मुझे बड़े-बड़े लोगों ने बताया कि नहीं, कैसे नहीं कर सकती हो, चलो निकलो घर से। आज मैं आपको कहूंगी की मुझे आज बहुत अच्छा लग रहा है कि आपने मुझे याद किया।
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