शैल्बी हॉस्पिटल के कैंसर विशेषज्ञ संजोग जायसवाल ने रचा कीर्तिमान
इंदौर। शहर (Indore) में अपनी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं (Health Services) से मरीजों का विश्वास जीतने वाले शैल्बी हॉस्पिटल (Shelby Hospital) में 48 वर्षीय कैंसर (cancer) की महिला मरीज का आधुनिक और जटिल चिकित्सा से सफल इलाज हुआ। शैल्बी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने ओवेरियन कैंसर से जूझ रही महिला का उपचार हायपेक (hyperthermic intraperitoneal chemotherapy) तकनीक से किया। बताया जा रहा है कि यहां पहली बार इस तकनीक से सर्जरी हुई है।
क्या है यह हायपेक तकनीक
हायपेक (हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथैरेपी ) कैंसर उपचार की एक पद्धति है, जिसमें पेट (एब्डॉमिनल कैविटी) के माध्यम से सर्जरी के तुरंत बाद कीमोथैरेपी दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं को एक निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है। पेट के ट्यूमर और प्रभावित अन्य हिस्सों को सर्जरी के जरिए हटाने के बाद हायपेक तकनीक का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान रोगी के शरीर का तापमान सुरक्षित रखा जाता है।
यह है हायपेक तकनीक का फायदा
डॉ. संजोग जायसवाल के अनुसार इस तकनीक का फायदा यह है कि कीमोथैरेपी की दवा पेट के सभी हिस्सों तक पहुंच जाती है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देती है, जिससे भविष्य में कैंसर की पुनरावृत्ति का जोखिम कम हो जाता है। यह कई हफ्तों में किए जाने वाले लंबे उपचार के बजाय ऑपरेटिंग रूम में किया जाने वाला एक ही उपचार है। नब्बे प्रतिशत दवा पेट के अंदर रहती है, जो शरीर के बाकी हिस्सों पर दवा के विषाक्त प्रभाव को कम करती है।
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