इंदौर। राजस्व महाअभियान 3.0 शुरू होते ही काम में तेजी दिखने लगी है। तीन दिन के अवकाश में भी पटवारियों, तहसीलदारों और राजस्व निरीक्षकों ने काम किया है। उसके बावजूद भी कल जारी की गई रैंकिंग में इंदौर जिला नामांतरण में 18वीं रैंक तो बंटवारे के प्रकरणों के निराकरण में 16वीं रैंक पर अटक गया है, वहीं सीमांकन के मामलों में इंदौर ने अप्रत्याशित उपलब्धि हासिल करते हुए अपनी चौथी रैंक हासिल की है। प्रदेश स्तर पर धार, आगर मालवा और भोपाल के बाद चौथे नम्बर पर इंदौर अव्वल आया है।
हर महीने जारी होने वाली प्रदेश स्तर की रैंकिंग में कार्य करते हुए इंदौर जिला अब भी टाप-20 जिलों में अपनी स्थिति बनाए हुए हैं। अविवादित नामांकन करने में जहां प्रदेश स्तर पर इंदौर जिला 18वें नम्बर पर है, वहीं अविवादित बंटवारा प्रकरण निपटाने में अब 16वें पायदान पर खड़ा हुआ है। राजस्व महाअभियान 3.0 की शुरुआत अधिकारियों ने जोश के साथ की है। जिसका परिणाम पहली ही रैकिंग में नजर आने लगा है। हालांकि टाप-10 में न आने के कारण कल कलेक्टर ने समय सीमा बैठक में अधिकारियों की क्लास ली है। 50 दिन से अधिक लम्बित प्रकरणों के निपटान को लेकर उन्होंने साफ कह दिया है कि यदि अब प्रकरण नहीं निपटाए गए तो विभागीय अधिकारियों के मासिक वेतन काटे जाए। उनके अनुसार 40 प्रतिशत लाने वाले विभागों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
अभिलेख दुरुस्ती में पीछे
समयसीमा बीत जाने के बावजूद भी अपने ही दस्तावजों मे अधिकारी सुधार कार्य नहीं कर पा रहे हैं। अभिलेख दुरुस्ती की रैंकिंग में पूरे प्रदेश में इंदौर 21वें पायदान पर है, सागर रतलाम और सागर जैसे जिले 50 प्रतिशत से ज्यादा काम करके टाप-3 में अपनी जगह बनाए हुए है। इंदौर को 144 प्रकरणों का ही टारगेट दिया गया था, लेकिन अब तक एक भी अभिलेख दुरुस्त नहीं हो सके।
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