इंदौर। शांति का टापू होने से बदमाशों (gangsters) के लिए यूं तो इंदौर पहले से सुरक्षित स्थान रहा है और कई बाहरी बदमाश यहां फरार काटते रहे हैं, लेकिन एक सप्ताह में बाहर की पुलिस इंदौर से हत्या के दो और गोलीकांड के दो आरोपियों को पकडक़र (apprehending the accused) ले गई। इसससे पता चलता है कि पुलिस कमिश्नरी (Police Commissionerate0 लागू होने के बाद भी पुलिस के खुफिया तंत्र में कोई विशेष सुधार नहीं आया है।
इंदौर मिनी मुंबई (Indore Mini Mumbai) होने से पहले से बाहरी बदमाशों की पसंद रहा है। यहां से मुुंबई के गैंगस्टर (gangsters of mumbai) से लेकर यूपी के कई बदमाश फरारी काटते पकड़े गए हैं। हालांकि पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद भी पुलिस ने किराएदार और नौकरों की जानकारी थाने पर देना अनिवार्य कर रखा है, लेकिन इसके बावजूद शहर में आकर बाहरी बदमाश किराए के मकान में रहकर फरारी काट रहे हैं।
हाल ही के तीन उदाहरण हैं, जो बताते हैं कि अभी भी पुलिस का खुफिया तंत्र फेल है। इसमें सुधार की आवश्यकता है। कुछ दिन पहले क्राइम ब्रांच की मदद से बंूदी (राजस्थान) की पुलिस एक व्यक्ति को गोली मारकर फरार हुए दो बदमाशों को इंदौर से पकडक़र ले गई। ये इंदौर में रहकर एक कैफे में काम कर रहे थे। कल अंबाला एसटीएफ की टीम कनाडिय़ा पुलिस की मदद से एक व्यापारी और उसके पुत्र की हत्या के आरोपी राजू तथा शिल्पी को यहां से गिरफ्तार कर ले गई। वे आठ साल से इंदौर में मकान बदल-बदलकर किराए से रह रखे थे। शिल्पी ने तो सैलून भी खोल रखा था। ये बिचौली मर्दाना में किराए से रह रहे थे। इसके पहले बिचौली मर्दाना में रहने वाले एक व्यापारी का राजस्थानी नौकर लाखों के जेवरात चुराकर भाग गया था। इसकी जानकारी भी मकान मालिक ने थाने पर नहीं दी थी।
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