इंदौर। राज्य और केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा खेलों (Sports) को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं (Schemes) लागू की गई हैं, लेकिन वास्तविकता में जरूरतमंद खिलाड़ियों (Players) को इन योजनाओं का फायदा कितना मिल पाता है, इस मामले से समझा जा सकता है। इंदौर की रहने वाली राज्य स्तरीय सॉफ्टबॉल खिलाड़ी (Softball Players) कुमारी प्रीति जरिया (Preeti Jariya) की स्थिति यह हो गई कि वह दूसरे के घर बर्तन मांजकर जीवन-यापन कर रही है। उसकी इच्छा अभी भी देश के लिए खेलने की है, लेकिन मजबूरी यह है कि कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते अब अपने खेल पर भी ध्यान नहीं दे पा रही है।
आड़ा बाजार (Aada Bazar) की एक बहुमंजिला इमारत में तलघर में रहकर चौकीदारी करने वाले राजू जरिया की सबसे बड़ी बेटी प्रीति जरिया ने शासकीय कस्तूरबा स्कूल (Government Kasturba School) से सॉफ्टबॉल खेलना प्रारंभ किया था। प्रीति ने स्कूल स्तर पर कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया। प्रीति अपनी पढ़ाई के लिए इस दौरान दूसरे के घरों में खाना बनाने और बर्तन मांजने का काम करती थी। पढ़ाई (Education) की लगन ने उसे कॉलेज तक पहुंचा दिया और अब वह खुद की मेहनत से एक प्राइवेट कॉलेज से एमबीए की पढ़ाई कर रही है। अपनी पढ़ाई की फीस जमा करने के लिए आज भी कई घरों में रोज बर्तन मांजती है, लेकिन एक अच्छी खिलाड़ी बनने का उसका सपना अधूरा ही रह गया। प्रीति ने बताया कि वह सॉफ्टबॉल की एकेडमी ज्वॉइन करना चाहती है, लेकिन उसका परिवार इतना गरीब है कि वहां लगने वाली फीस वहन नहीं कर सकते। उसने सुना है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) भानजियों की बहुत मदद करते हैं, इसलिए अब उनसे ही आस जागी है। वह जल्द ही कलेक्टर मनीष सिंह से मिलकर अपनी इच्छा जाहिर करेगी। प्रीति ने कहा कि अगर मुझे एकेडमी ज्वॉइन करने में मदद मिल जाए तो निश्चित ही इंदौर और प्रदेश का नाम खेल में रोशन करूंगी।
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