नहीं थम रही अस्पतालों में गड़बड़ी
इंदौर। संक्रमण (Infection) का शिकार हुए शख्स की मौत के पांच दिन बाद कोविड टेस्ट (Covid Test) का सैंपल लिया और फिर रिपोर्ट भी नेगेटिव आई… है न यह अजीब वाक्या… सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) में लापरवाही का एक और नमूना सामने आया है, जब मौत के पांच दिन बाद उसी अस्पताल में मरीज का रिकार्ड भी नहीं मिला तो परिजनों से उसकी जानकारी मांगी।
होलकर कॉलेज ( Holkar College) के अतिथि शिक्षक संजय बुमरावकर की संक्रमण के चलते 16 तारीख को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 18 तारीख की रात को उनकी मौत हो गई। 19 अप्रैल को संजय का जूनी इंदौर मुक्ति धाम में अंतिम संस्कार भी कर दिया। घर वाले इसके दूसरे दिन अस्थियां भी पैतृक गांव छिंदवाड़ा (Chhindwara) ले गए। यहां तक तो सबकुछ ठीक था, लेकिन 21 तारीख को अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के परिजनों से संपर्क किया और कहा कि मृतक संजय का आयुष्मान कार्ड (Ayushman Card) लेकर अस्पताल आ जाएं। इस पर मृतक के परिजन नीलेश ने फोन लगाने वाली युवती को खरी-खोटी सुनाई। उसने कहा कि तुम्हें शर्म आना चाहिए कि तुम्हारे यहां भर्ती मरीजों के बारे में तुम्हें पता ही नही। उसकी तो मौत हो गई, मौत के बाद अस्पताल में एंट्री कर शव को अंतिम संस्कार के लिए लेकर गए थे। परिजन पहले ही गमजदा थे, लेकिन कल उन पर एक और गम हावी हो गया, जब उनके पास आरटीपीसीआर की टेस्ट रिपोर्ट पहुंची, जिसमें मृतक संजय बुमरावकर का कल यानी मौत के पांच दिन बाद कोविड जांच के लिए सैम्पल लेना बताया गया और उसी दिन शाम को उनकी रिपोर्ट आ गई, जिसमें वे नेगेटिव निकले। परिजन आश्चर्य में रह गए कि ऐसा कैसे हुआ? इसको लेकर परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया है और कहा कि जब अस्पताल में इस प्रकार की लापरवाही बरती जा रही है तो वहां मरीजों के साथ क्या होता होगा?
कुछ देर के लिए समझे की कही गलत बॉडी तो नही दे दी गई
फोन पर आयुष्मान कार्ड (Ayushman Card) मांगना और फिर फिर सैम्पलिंग रिपोर्ट की तारिख और उसका रिजल्ट आना संजय के परिजनों को विचलित कर गया। उनके मन में यह विचार आया कि कहीं हम दूसरी बॉडी का अंतिम संस्कार तो नहीं कर आए, लेकिन ऐसा नहीं था। हालांकि परिवार के एक सदस्य ने अंतिम संस्कार से पहले मृतक संजय का चेहरा देखा था।
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