इंदौर, राजेश ज्वेल ।
दो साल पहले चलाए गए ऑपरेशन भूमाफिया (operation land mafia) में जहां कई गृह निर्माण संस्थाओं (home building organizations) की जमीनों पर पीडि़तों को भूखंडों (Plots to the victim) के कब्जे दिलवाए गए, तो भूमाफिया के चंगुल में फंसी जमीनें भी छुड़वाई और कई रजिस्ट्रियों (Registration) को शून्य करवाने के लिए कोर्ट (court) में प्रकरण दायर किए गए। अभी पिछले दिनों तीन हजार करोड़ (3000 crores) रुपए से अधिक कीमत की देवी अहिल्या गृह निर्माण संस्था की ढाई लाख स्क्वेयर फीट से अधिक जमीनों की रजिस्ट्रियां भी कोर्ट ने शून्य घोषित कर दी, जिसके चलते पीडि़तों को भूखंडों का आबंटन किया जा सकेगा। जिन जमीनों की रजिस्ट्रियां शून्य हुई हैं वे संस्था की कॉलोनी अयोध्यापुरी के साथ श्री महालक्ष्मी नगर की है। अभी अन्य जमीनों की रजिस्ट्रियों को शून्य करने के प्रकरण भी कोर्ट में विचाराधीन हैं, तो कुछ जमीनी जादूगर मुहिम ठंडी पड़ते ही अपने वायदे से मुकर भी गए।
इंदौर में गृह निर्माण संस्थाओं में पिछले 20 सालों में जमकर जमीनी घोटाले हुए और तीन बार शासन स्तर पर इनके खिलाफ बड़ी मुहिम भी शुरू हुई। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 2008-09 में पहली मुहिम चलाई, जिसमें कई भूमाफिया जेल गए और पीडि़तों को भूखंड भी मिले। उसके बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस तरह का ऑपरेशन भूमाफिया चलाया और उसके बाद तख्तापलट हुआ और फिर भाजपा की सरकार बनी, तब शिवराजसिंह चौहान ने ही 2021-22 में ऑपरेशन भूमाफिया फिर से शुरू करवाया। नतीजतन तत्कालीन इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने अब तक की सबसे प्रभावी कार्रवाई इस दौरान की, जिसके चलते जहां चर्चित भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो दीपक मद्दे सहित कई को जेल भी जाना पड़ा और उसी मुहिम का असर था कि ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत इन भूमाफियाओं के खिलाफ प्रकरण बनाए और करोड़ों रुपए की सम्पत्तियां अटैच कर डाली। अभी भी हालांकि अयोध्यापुरी की के एस सिटी और सिम्प्लैक्स की लगभग साढ़े 5 एकड़ जमीन सरेंडर नहीं हो सकी है। के एस सिटी कम्पनी ने तो प्रशासन को बकायदा जमीन सरेंडर करने का शपथ-पत्र भी दिया था मगर बाद में मुहिम ठंडी पडऩे पर वे अपने वायदे से पलट गए। कम्पनी की ओर से आशीष गुप्ता ने देवी अहिल्या की अयोध्यापुरी की 1.47 एकड़ जमीन खरीदी और तत्कालीन अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर के समक्ष शपथ-पत्र देकर इस जमीन को सरेंडर करने का वायदा किया, ताकि वह एफआईआर और गिरफ्तारी से बच सके। मगर मुहिम ठंडी पडऩे पर जमीन सरेंडर करने से पीछे हट गए और फिर सिर्फ 5 प्लॉट, जिसमें 6250 स्क्वेयर फीट जमीन आती है, उसे ही सरेंडर करने की बात कह रहे है, जबकि कब्जे में 60 हजार स्क्वेयर फीट जमीन है। अब प्रशासन ही इस मामले में नए सिरे से कार्रवाई करेगा। इसी तरह सिम्प्लैक्स इन्वेस्टमेंट की जमीन भी संघवी परिवार और मद्दे के पास है और ये 4 एकड़ जमीन अयोध्यापुरी कालोनी में शामिल है। ये जमीन भी अभी तक सरेंडर नहीं हो सकी है, जबकि इसी जमीन को लेकर संघवी परिवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थीं और फिर जमानत के चलते गिरफ्तारी से बचे और इस मामले में प्रतीक संघवी भी आरोपी है. दूसरी तरफ़ पिछले दिनों सहकारिता विभाग को लगभग ढाई लाख स्क्वेयर फीट जमीनों की रजिस्ट्रियां कोर्ट के जरिए शून्य करवाने में सफलता मिली। उपायुक्त सहकारिता मदन गजभिये के मुताबिक देवी अहिल्या गृह निर्माण की अयोध्यापुरी और श्री महालक्ष्मी नगर की इन जमीनों की रजिस्ट्रियां शून्य हो गई है, जिसमें मेसर्स मिरांडा इंटरप्राइजेस की खजराना के सर्वे नम्बर 135/1, 135/3, 135/4, 136/4/1 और 137 की 2.405 हेक्टेयर यानी सवा 2 लाख स्क्वेयर फीट जमीन की रजिस्ट्री कोर्ट से शून्य घोषित हो गई है और यह जमीन संस्था की कॉलोनी श्री महालक्ष्मी नगर में मौजूद है। चूंकि इतनी बड़ी जमीन संस्था को वापस मिल गई है, जिसके चलते पीडि़तों को भूखंड आबंटित करने में आसानी होगी. इसी तरह श्री गजभिये के मुताबिक देवी अहिल्या संस्था की ही सर्वे नम्बर 387/2 की लगभग 23 हजार स्क्वेयर फीट जमीन, जिसकी रजिस्ट्री श्रीमती पूजा आशीष डोसी, श्रीमती छवि रोहित डोसी और अमरजीत सिंह चावला के नाम पर संस्था के कर्ताधर्ताओं ने कर दी थी , ये जमीन भी वापस संस्था को मिल गई है, जिसमें अयोध्यापुरी के पीडि़तों को भूखंड मिल सकेंगे। इसी तरह एक और रजिस्ट्री बेस्टेक इंडिया प्रा.लि. की कोर्ट ने शून्य घोषित की है। देवी अहिल्या संस्था की ही सर्वे नं. 85 की 0.767 हेक्टेयर यानी लगभग 8 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक ये जमीन भी श्री महालक्ष्मी नगर में मौजूद है। इन तीनों रजिस्ट्रियों के शून्य होने से ढाई लाख स्क्वेयर फीट से अधिक जमीन वापस संस्था के खाते में आ गई है , जो अब वरीयता सूची के आधार पर पीडि़तों को भूखंड के रूप में मिल सकेगी . उल्लेखनीय है कि बाजार दर के मुताबिक ये जमीनें आज 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक कीमत की है, क्योंकि 10 से 15 हजार रुपए स्क्वेयर फीट का बाजार भाव फिलहाल इन जमीनों का चल रहा है। यह भी महत्वपूर्ण है कि अयोध्यापुरी की ही अरुण डागरिया और अतुल सुराना के कब्जे की 70 हजार स्क्वेयर फीट जमीन की रजिस्ट्री पूर्व में शून्य घोषित हो चुकी है। इसी तरह एक एकड़ जमीन शैलबाला जैन के कब्जे से भी संस्था को मिल चुकी है। अब अयोध्यापुरी संघर्ष समिति के गौरीशंकर लाखोटिया का कहना है कि सहकारिता विभाग जल्द ही वरीयता सूची जारी कर दे, ताकि जिन जमीनों की रजिस्ट्रियां शून्य होकर संस्था को वापस मिली है , कम से कम उनका कब्जा तो भूखंड पीडि़तों को दिया जा सके। इस मामले में संस्था के पीडि़तों ने कलेक्टर आशीष सिंह से भी गुहार लगाई है और साथ में प्राधिकरण से भी, ताकि योजना 171 को डीनोटिफाइड भी जल्द कर दिया जाए, जिससे कालोनी को वैध कराने के लिए एनओसी का रास्ता साफ हो सके। हालांकि अभी भी कई गृह निर्माण संस्थाओं की करोड़ों रुपए की जमीनें भूमाफियाओं के चंगुल में ही है। तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह की सख्ती के चलते अरबों रुपए मूल्य की जमीनें जहां मुक्त हुईं, वहीं सैंकड़ों भूखंडों के कब्जे भी पीडि़तों को मिले। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कब इस तरह का ऑपरेशन भूमाफिया चलवाते हैं, ताकि कई गृह निर्माण संस्थाओं की बची जमीनें , जहां भू माफिया के चंगुल से छुड़वाकर पीडि़तों को भूखंड के रूप में पुलिस , प्रशासन और सहकारिता विभाग द्वारा दिलवाई जा सके, क्योंकि अभी हर मंगलवार की जनसुनवाई में सबसे अधिक शिकायतें प्रशासन को गृह निर्माण संस्थाओं और जमीनी धोखाधड़ी की ही मिल रहीं है।
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