बालिका के बयान नहीं होने से रेप का मुलजिम छूटा
इंदौर, बजरंग कचोलिया।
रेप के मामले में एक पीडि़त बालिका पांच साल से गायब है। उसके कोर्ट में बयान ही नहीं हो सके, जिसका लाभ मुलजिम को मिला। स्पेशल कोर्ट ने पुलिसिया कहानी को विश्वसनीय नहीं मानते हुए मुलजिम को बरी कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक सुदामानगर में रहने वाले मुलजिम किशोर पर इल्जाम था कि उसने 28 मार्च 2013 से 17 जून 2015 तक अपनी ही रिश्तेदार के साथ खोटा काम किया। इस मामले में महिला थाने में वर्ष 2015 में प्रकरण दर्ज होने के बाद कोर्ट में चालान पेश हुआ तो डॉक्टर भरत यादव ने पीडि़ता की मेडिकल रिपोर्ट में उसे नाबालिग बताया था। वहीं किशोर के खिलाफ उसकी ही पत्नी ने भी बयान दिए थे, किंतु गवाही के दौरान माना था कि उसने मुलजिम को पीडि़ता से दुष्कृत्य करते नहीं देखा था। इसी तरह एक गवाह पूजा ने भी पीडि़ता के मुंह से सुनी आपबीती का जिक्र करते हुए मुलजिम के खिलाफ बयान दिए थे। उसने ही मुलजिम के हाथों पीडि़ता को पिटाई होते वक्त बचाया था। पूरा केस चलने के दौरान पीडि़ता कोर्ट में हाजिर नहीं हुई। इस दरमियान थाने के सिपाही ने भी कोर्ट को बताया कि अथक प्रयासों के बावजूद पीडि़ता का पता नहीं चल पाया है और भविष्य में भी उसके मिलने की संभावना नहीं है। ऐसे में स्पेशल जज वर्षा शर्मा ने कहा कि मामले में पीडि़ता के बयान नहीं हो पाए हैं। सुनी-सुनाई बातों को सबूत नहीं माना जा सकता और पुलिस के साक्ष्य विश्वास योग्य नहीं हैं, जिससे अभियोजन की कहानी की पुष्टि नहीं होती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट व ऊपरी अदालतों की नजीरों का हवाला देते हुए मुलजिम को बाइज्जत बरी कर दिया। गौरतलब है कि मुलजिम केस चलने के दौरान पहले ही जमानत पर छूटा हुआ था।
मुलजिम के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने में पत्नी ने की मदद
पुलिसिया कहानी के अनुसार लडक़ी महाराष्ट्र की रहने वाली है और अनाथ है। वह रिश्तेदार के यहां रहने आई थी, जहां अकेली पाकर मुलजिम ने उससे बलात्कार किया। जब इसका पता मुलजिम की पत्नी को लगा तो मुलजिम ने पत्नी व पीडि़ता से मारपीट की। इस दौरान पूजा व अन्य लोगों ने बीच-बचाव कर मामला शांत किया था। इसके बाद भी मुलजिम बालिका से जबरदस्ती करता रहा। 17 अप्रैल 2015 को उसने पीडि़ता को फिर हवस का शिकार बनाया तो पत्नी ने पीडि़ता के साथ जाकर थाने में बलात्कार व धमकाने के इल्जाम में रिपोर्ट लिखाई थी।
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